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    टैक्स देने वालों के बड़ी राहत, इस स्कीम में कर सकते है बदलाव

  • December 07, 2020


    नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग ((Income Tax Department) ने साफ किया है कि टैक्सपेयर्स डेक्लेरेशन में तब तक संशोधन कर सकते हैं जबतक टैक्स अथॉरिटीज टैक्स बकाया और टैक्स पेमेंट की पूरी जानकारी के साथ सर्टिफिकेट नहीं जारी कर देती हैं। विवाद से विश्वास स्कीम के तहत अगर आपने डेक्लेरेशन (Declaration) दे दिया है, लेकिन आप उसमें कुछ संशोधन करना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं।
    ‘Vivad Se Vishwas’ स्कीम में क्या हुए हैं बदलाव
    1. विवाद से विश्वास स्कीम को लेकर बार-बार पूछे जाने वाले सवालों की नई लिस्ट जारी करते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि योजना का लाभ उस मामले में नहीं लिया जा सकता है जहां आयकर निपटान आयोग के समक्ष कार्यवाही पेंडिंग है या फिर आईटीएससी के आदेश के खिलाफ रिट याचिका दायर की गई है।
    2. जिन मामलों में द्विपक्षीय समझौता प्रक्रिया समाधान लंबित है या टैक्सपेयर ने एमएपी के फैसले को स्वीकार नहीं किया है। ऐसी अपील विवाद से विश्वास के अंतर्गत की जा सकेंगी। ऐसे मामलों में ब्योरा देने वाले को एमएपी आवेदन और अपील दोनों वापस लेने होंगे।
    3. टैक्सपेयर्स उन मामलों में घोषणा करने के लिये पात्र होंगे जहां एडवांस रूलिंग प्राधिकरण ने करदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया है और विभाग ने उच्च हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है और करदाता की कुल आय का निर्धारण एएआर के समक्ष हो गया है।
    इस साल के आखिरी तक मोहलत
    सरकार ने कोरोना महामारी की वजह से अक्टूबर में तीसरी बार विवाद से विश्वास योजना के तहत भुगतान की समयसीमा तीन महीने 31 मार्च, 2021 तक के लिये बढ़ाई है। हालांकि योजना का लाभ लेने वालों को घोषणा 31 दिसंबर 2020 तक जमा करनी होगी।
    गत माह तक 72,480 करोड़ रुपए मिले
    सरकार ने नवंबर तक इस योजना के तहत 72,480 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं। कुल 45,855 करदाताओं ने योजना के तहत जानकारी दी। इन मामलों में नवंबर तक 31,734 करोड़ रुपए की कर मांग विवाद में फंसी थी। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी योजना के तहत कुल एक लाख करोड़ रुपए के विवाद का निपटान कर रही हैं।
    ऐसे होगा निपटारा
    इस योजना के तहत असेसमेंट या री-असेसमेंट को लेकर विवादित टैक्स, विवादित ब्याज, विवादित पेनल्टी या विवादित फीस के सेटलमेंट की सुविधा मिलती है। इसके तहत 100 परसेंट विवादित टैक्स, विवादित पेनल्टी, फीस या ब्याज का 25 परसेंट देकर इसका निपटारा किया जा सकता है।

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