भोपाल। राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन मप्र ने संविदा स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक होने के बाद परीक्षा को ही निरस्त कर दिया है। साथ ही एनएचएम ने परीक्षा कराने वाली एजेंसी को नोटिस देने की खानापूर्ति की कर डाली है। जबकि एनएचएम के अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है। यदि निष्पष जांच हुई तो स्वास्थ्य विभाग भर्ती घोटाले में व्यापमं से भी आगे निकल चुका है। स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा के पेपल लीक मामले में ग्वालियर पुलिस ने उप्र, हरियाणा और ग्वालियर के 7 आरोपियों को पकड़ा है।
आरोपियों ने 15 लाख रुपए में पेपर खरीदा था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने पर्चा स्ट्रेटेजिक अलायंस मैनेजमेंट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (एसएएमएस) नाम की कंपनी की वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदा था। जिसके एवज में 15 लाख चुकाए थे। यह कंपनी सरकारी विभागों में भर्ती कंसल्टिंग का काम करती है। फिलहाल कंपनी से संबंधित कोई भी व्यक्ति नहीं पकड़ा गया है। परीक्षा ले रही एजेंसी से आरोपियों का सीधा कनेक्शन नहीं है। आरोपी इसी कंपनी के जरिए ही पूरा काम कर रहे थे। पुलिस इस मामले में एनएचएम के अफसरों की भूमिका भी जांच रही है। अभी तक सिर्फ एनएचएम के प्रशासनिक अधिकारी केके रावत ने परीक्षा निरस्त करने के लिए कंपीन को पत्र लिखा है। फिलहाल एनएचएम समेत स्वास्थ्य महकमे ने पेपर लीक कांड पर चुप्पी साध ली है।
स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा भर्तियां
कोरोना काल से लेकर अभी तक सबसे ज्यादा भर्तियां स्वास्थ्य विभाग में ही हो रही हैं। हर भर्ती के दौरान गड़बड़ी के सवाल उठते रहे हैं। पहली बार पुलिस ने पेपर लीक का मामला पकड़ा है। खास बात यह है कि इसमें अभी तक एनएचएम के अधिकारियों की भूमिका को भी तलाश नहीं गया है। क्योंकि एनएचएम के मौजूदा आला अफसरों के आने के बाद से भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आती रही है। गड़बड़ी को हर स्तर पर दबाया जा रहा है। एनएचएम में अफसर सालों से जमे हैं।
स्वास्थ्य विभाग में हर स्तर पर भ्रष्टाचार
यूं तो स्वास्थ्य विभाग में हर स्तर पर भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार के मामले में विभाग सबसे आगे हैं। दवा खरीदी से लेकर, मेडिकल उपकरण, जांच मशीन, वेंटिलेटर तक में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। कोरेाना काल में तो स्वास्थ्य विभाग ने पीपीई किट, जांच किट और दवा खरीदने में भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं। खास बात यह है कि इसके बावजूद भी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग से लेकर संचालनालय, एनएचएम के अफसरों को बदला तक नहीं है।
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