भोपाल। मध्यप्रदेश (MP) में गरीबों के हक पर डाका डालने की खबरें कोई नहीं है इस तरह की खबरें आए दिन आती रहती है। कभी पीडीएफ दुकानदार गरीबों का राशन ब्लैक (ration black for the poor) में बेचते पकड़े जाते हैं तो कहीं राशन नहीं बांटने जैसे शिकायत (Complaint) तो आम हो गई है, लेकिन एक बार फिर मध्यप्रदेश में एक बड़ा राशन घोटाला (ration scam) सामने आया है जिसमें एक रिपोर्ट में ही खुलासा हुआ है।
एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग ने 2018-21 के दौरान 2393 करोड़ का 4.05 मीट्रिक टेक होम राशन 1.35 करोड़ लाभार्थियों को बांटा। टेक होम राशन की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि इसके परिवहन, उत्पादन, वितरण और गुणवत्ता में गड़बड़ी की गई है। बच्चों और महिलाओं में पोषण की कमी दूर करने के उद्देश्य से पोषण आहार योजना के तहत बांटा जाने वाला टेक होम राशन बड़ी मात्रा में कागजों में बांट दिया गया।
मध्य प्रदेश ऑडिटर जनरल (एमपी एजी) की ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने बाइक, कार, ऑटो और टैंकर के नंबरों को ट्रक का बताकर 6 राशन बनाने वाली फर्मों से 6.94 करोड़ का 1125.64 मीट्रिक टन राशन परिवहन कर दिया। डाटाबेस मिलाने के कागजों पर लिखे गए नंबर बाइक, कार, ऑटो और टैंकर के निकले हैं।
वहीं टेक होम राशन के उत्पादन और वितरण के रिकॉर्ड में भी गड़बड़ी मिली है। ऑडिट में सामने आया कि उत्पादन के लिए कच्चा माल, बिजली की खपत की तुलना में राशन का असंभव उत्पादन किया गया। इसमें 58 करोड़ का नकली उत्पादन किया गया।
छह फर्मों बड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी में गड़बड़ी मिली है। यहां चालान जारी करने की तारीख पर टेक होम राशन के स्टॉक में अनुपलब्धता होने के बावजूद 4.95 करोड़ कीमत का 822 मीट्रिक टन टेक होम राशन सप्लाई कर दिया गया।
एमपी एजी ने अपनी रिपोर्ट में टेक होम राशन उत्पादन, परिवहन, वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी/ दुरुपयोग के मामले में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया कि सीडीपीओ, डीपीओ, प्लांट अधिकारी और परिवहन की व्यवस्था करने वाले अधिकारी, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस धोखाधड़ी में शामिल थे। बता दें महिला एवं बाल विकास विभाग इमरती देवी के उपचुनाव हारने के बाद से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पास ही है।
विदित हो कि निवाड़ी जिले में राशन वितरण में बडा घोटाला हुआ था। कोरोना काल सहित पिछले 4 साल के दौरान खाद्यान्न में तकरीबन 32 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए कलेक्टर ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। जांच में पता चला था कि साल 2021 में अप्रैल से जून तक केवल एक योजना का राशन बाटा गया है. लोगों को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री गरीब कल्याण योजना में से केवल एक योजना का राशन दिया गया है. दूसरी योजना के राशन बांटने में भारी अनियमितता की गई है।
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