नई दिल्ली (New Delhi)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Chief Minister Arvind Kejriwal) तिहाड़ जेल में है । उधर आप शासित दिल्ली नगर निगम (Municipal council)में 26 अप्रैल को होने वाले मेयर चुनाव (mayor election)से पहले आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party)में पार्षदों की बगावत भी शुरू हो चुकी है। नामांकन के वक्त इसकी बानगी देखने को मिली।
मेयर चुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए बड़ा संकट लेकर आया है। ये तब सामने आ गया जब डिप्टी मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी के तीन निगम पार्षदों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किये हैं। आपको बता दें केवल एक कैंडिडेट रविंद्र भारद्वाज के नाम की आधिकारिक घोषणा आप पार्टी की ओर से की गई , जबकि दो निगम पार्षदों ने पार्टी नेतृत्व के साथ बगावत करते हुए अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए। आप के अंदरूनी सूत्रों का कहना है की दोनों बागी पार्षदों को मनाने की कोशिशें जारी हैं।
शुक्रवार को मेयर पद के लिए बीजेपी और आप की ओर से कुल 2 और डिप्टी मेयर के लिए कुल 4 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल हुए तो आप का सियासी संकट अब दिल्ली नगर निगम तक पहुंच चुका है। पार्टी की ओर से अधिकृत तौर पर मेयर पद के लिए महेश खींची और डिप्टी मेयर पद के लिए रविंद्र भारद्वाज ने सिविक सेंटर स्थित निगम सचिव कार्यालय में पहुंच कर नामांकन पत्र दाखिल किया।
डिप्टी मेयर पद के लिए आप के ही बगावती निगम पार्षद विजय कुमार और नरेंद्र गिरसा ने अपने-अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिये। आप नेताओं की ओर से उन्हें मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है। देर रात तक पार्टी के कई नेता दोनों निगम पार्षदों के घर पर उन्हें मनाने में जुटे रहे।
आप से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी के निगम पार्षदों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि सीनियर पार्षदों की बेकद्री हो रही है, पार्षद की रेस में चलने वाले शुरुआती नाम जैसे प्रेम चौहान, सारिका चौधरी में से कोई भी नाम इसलिए नहीं उठाया गया क्योंकि एक विधायक ने इस्तीफा की धमकी तक दे दी की अगर पार्षद को मेयर कैंडिडेट बनाया जाएगा तो विधायक ने इस्तीफे की धमकी तक दे डाली। पार्षदों के बागी बनने की एक वजह यह भी है। वहीं मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए नाम तय करते समय भी पार्षदों को भरोसे में नहीं लिया गया। सूत्रों का यह भी कहना है कि दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद द्वारा पार्टी नेतृत्व के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पार्टी व मंत्री पद छोड़े जाने के बाद कई पार्षदों में अपने लिए असुरक्षा की भावना घर करने लगी है।
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