नई दिल्ली: देश में HMPV के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. फिलहाल देश के 5 राज्यों में इस वायरस के एक्टिव मामले मौजूद हैं. इस वायरस के कारण लोगों में डर है कि कहीं कोरोना जैसी स्थिति न बन जाए. यही कारण है कि लोग अब कई तरह के सवाल कर रहे हैं. इस एचएमपीवी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें राज्य सरकारों को कई तरह के निर्देश दिए गए हैं.
इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली बैठक में कहा गया कि ये कोई नया वायरस नहीं है, ये पिछले 20 सालों से मौजूद है. सर्दी के समय में इसके मामले बढ़ जाते हैं. इससे घबराने या फिर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की वर्तमान स्थिति और उनके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की स्थिति की समीक्षा की गई.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पून्या सलिला श्रीवास्तव ने कल राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ HMPV को लेकर बैठक की. बैठक में भारत में HMPV की वर्तमान स्थिति और चीन में एचएमपीवी में बढ़ते मामलों की स्थिति की समीक्षा की गई. इसमें राज्यों को ILI (इन्फ़्लूएंज़ा जैसी बीमारी) निगरानी को मजबूत करने और समीक्षा करने की सलाह दी गई है.
इस बैठक में डॉ राजीव बहल, सचिव (डीएचआर), डॉ (प्रो) अतुल गोयल, डीजीएचएस, राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और अधिकारी, एनसीडीसी, आईडीएसपी, आईसीएमआर, एनआईवी और आईडीएसपी के राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञ शामिल हुए. बैठक के दौरान, यह दोहराया गया कि आईडीएसपी के आंकड़े देश में कहीं भी आईएलआई/एसएआरआई मामलों में किसी भी असामान्य वृद्धि को नहीं दर्शाते हैं. यह आईसीएमआर के सेंटिनल निगरानी आंकड़ों से भी पुष्टि की जाती है.
इस बैठक में उन्होंने बताया कि देश में सांस संबंधी बीमारी में कोई वृद्धि नहीं हुई है. ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए कड़ी निगरानी की जाती है. राज्यों को उपायों और बचाव के संबंध में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई है. उन्होंने कहा कि सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि आमतौर पर सर्दियों के महीनों में देखी जाती है. उन्होंने कहा कि देश श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में किसी भी संभावित वृद्धि के लिए अच्छी तरह से तैयार है.
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