नई दिल्ली: यूपी (UP) को लेकर जबरदस्त गहमागहमी है. बैठकों का दौर हो रहा है. लखनऊ (Lucknow) से सारी हलचल खत्म होकर अब दिल्ली में केंद्रित हो गई है. यूपी के सारे बीजेपी दिग्गज आज शनिवार को दिल्ली में हैं. 24 घंटे में दिल्ली में कई अहम बैठकें होनी हैं. नीति आयोग की पहली बैठक हो चुकी है. अब दूसरी बैठक बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी सीएम की हो रही है. इसके अलावा यूपी बीजेपी का सियासी मुद्दा निपटाने के लिए भी अलग से बैठक होनी है. दरअसल, बीजेपी के सभी मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंच गए हैं. इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह समेत तमाम बड़े नेता भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि इस बैठक में लोकसभा चुनावों में हुए नुकसान से लेकर आगामी राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा होगी. बैठक में योगी आदित्यनाथ, नायब सैनी, मोहन यादव, विष्णु देव सहाय, पुष्कर धामी, हेमंत बिस्वा सरमा, प्रमोद सावंत और अन्य भाजपा सीएम और डिप्टी सीएम पहुंच चुके हैं.
वहीं इसके बाद उत्तर प्रदेश को लेकर सीएम योगी और बीजेपी की टॉप लीडरशिप के बीच यूपी को लेकर अहम बैठक हो सकती है. कयासों का बाजार गर्म है. सब जानना चाहते हैं कि आखिर यूपी में क्या खिचड़ी पक रही है. दरअसल, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बीजेपी के कमोबेश सारे विधायकों से बात कर चुके हैं. उधर डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी दर्जनों विधायकों से मिल चुके हैं. आखिर इन बैठकों का मकसद क्या है? इसका जवाब हर कोई तलाश रहा है. वहीं सियासी गहमागहमी को लेकर विपक्ष लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहा है. अखिलेश यादव लगातार चुटकी लेकर बीजेपी की डबल इंजन सरकार पर निशाना साध रहे हैं.
4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए, इधर परिणाम आए और उधर यूपी में परिवर्तन की चार्चाओं का सियासी बाजार गर्म हो गया. सियासी गलियारे में यही दावे सुनाई देने लगे कि यूपी में खराब प्रदर्शन की गाज किसी बड़े नेता पर गिरेगी. इन चर्चाओं को हवा दे दी केशव प्रसाद मौर्य के एक बयान ने. बस फिर क्या था अंदरूनी लड़ाई सतह पर आ गई. इसी बीच संगठन बनाम सरकार की लड़ाई में अखिलेश यादव की एंट्री हुई-और उन्होंने एक तीर से दो निशाने साध दिए.
अब समझिए अखिलेश यादव ने मझे हुए सियासी खिलाड़ी की तरह 1 तीर से 2 निशाने कैसे साधे. अखिलेश यादव ने मानसून ऑफर का ऐलान करके यूपी में BJP की सरकार की धड़कने बढ़ा दी, अपने ऑफर से संदेश दे दिया कि यूपी बीजेपी में असंतुष्ठ विधायकों अगर बगावत करते हैं तो समाजवादी पार्टी के समर्थन से सरकार बना सकते हैं. मतलब यही है कि योगी से नाराज नेता अगर चाहे तो यूपी में तख्तापलट हो सकता है.
अखिलेश ने दूसरा निशाना साधा बीजेपी के घरेलू झगड़े को दिल्ली बनाम लखनऊ के नैरेटिव से जोड़कर, संदेश यही देने की कोशिश है कि CM योगी को हटाने का प्लान दिल्ली में बन चुका है. जो बात अखिलेश यादव ने कही, वही बात उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारे में घूम रही है. समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव यही दावा कर रहे हैं कि पार्टी के मुखिया की तरफ से दिए गए ऑफर के पीछे ठोस वजह है. अखिलेश यादव ने मानसून ऑफर के बहाने, यूपी में बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. अब सवाल है कि अखिलेश ने जो कहा, क्या यूपी में ऐसा संभव है, क्या बीजेपी के 100 विधायक बगावत करते हैं तो योगी की सरकार गिर जाएगी. आखिर नंबर गेम की कसौटी पर अखिलेश यादव का ऑफर कहां टिकता है. आपको बताते हैं.
दरअसल, इसे समझने के लिए आपको यूपी विधानसभा का गणित समझना होगा. फिलहाल उत्तर प्रदेश की कुल 403 सीटों में 393 विधायक है, दस सीटें खाली है, जहां उपचुनाव होने हैं. बहुमत का आकड़ा-197 है जबकि NDA के विधायकों की संख्या 283 है, जिसमें बीजेपी के 251, अपना दल के 13, आरएलडी के 8, एसबीएसपी के 6, निषाद पार्टी के 5, वही इंडिया गठंधन के कुल 107 विधायक हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी के 105 कांग्रेस के दो विधायक. जबकि तीन अन्य विधायक हैं. अब सवाल है कि क्या यूपी में BJP की सरकार गिरना संभव है. इसे आप तीन संभावनाओं से समझिए. पहली संभावना-अगर 100 विधायक बीजेपी से बागी हुए तो उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी. सदन के विधायकों की संख्या 293 हो जाएगी. बहुमत का आंकड़ा 147 हो जाएगा. बीजेपी के पास 151 विधायक रहेंगे, यानी सरकार नहीं गिरेगी.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved