राहुल ने कर्नाटक की तर्ज पर खुद के सर्वे के आधार पर टिकटों का खोला पिटारा तो कमलनाथ के सर्वे को भी सामने रखा
इंदौर। कल कांग्रेस (Congress) के 150 टिकट पूरे घोषित होना चाहते थे, लेकिन गुटबाजी के चक्कर में कुछ टिकटों को रोकना पड़ा। यही नहीं इंदौर (Indore) के टिकट भी इस कारण रूक गए और उन पर एक बार फिर विचार किया गया है। कहा तो यह जा रहा हैकि ये टिकट (Ticket) एक बार और मीटिंग में चर्चा के लिए रखे जाएंगे। कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि कमलनाथ की टिकट वितरण में तो चली है, लेकिन राहुल गांधी ने भी कर्नाटक की तर्ज पर एक सर्वे करवाया था, जिसको पहले रखा गया था। हालांकि दोनों के सर्वे के नतीजे बहुत-कुछ मिले-जुले नजर आए, इसलिए पहली बार में 144 नाम घोषित हो गए।
इंदौर (Indore) की तीन सीटों पर नया चेहरा उतारा गया है। हालांकि कांग्रेस हर बार अपनी परंपरागत सीट को छोडक़र नए चेहरों पर दांव लगाती रही है। राजा मांधवानी, रीना बोरासी और चिंटू चौकसे जैसे नए नामों के साथ-साथ पूरे प्रदेश में भी अधिकांश सीटों पर यही प्रयोग किया गया है। सूत्रों का कहना हैकि राहुल गांधी ने जो सर्वे करवाया था, उसमें युवाओं को आगे लाने की जानकारी भी आई थी, ताकि युवाओं को प्रभावित किया जा सके। इसी को लेकर करीब 65 टिकट 50 से कम उम्र वालों को दिए गए हैं। इंदौर की सभी 9 सीटों पर टिकट तय थे, लेकिन तीन पर पैनल बने हुए थे और पैनलों में अपने नामों को लेकर वरिष्ठ नेता जोर लगा रहे थे। सीईसी की बैठक के पहले तीन नंबर में आगे चल रहे पिंटू जोशी के नाम के साथ अरविन्द बागड़ी का नाम और दमदारी के साथ जुड़ गया। हालांकि अश्विन जोशी ने भी अभी हार नहीं मानी है और वे भी अड़े हुए हैं। इसी को लेकर यह सीट रोकना पड़ी। पांच नंबर विधानसभा में भी ऐसे ही हालात नजर आए। यहां से सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी के नामों में से एक नाम का चयन नहीं हो पाया। पटेल का टिकट प्रियंका गांधी वाड्रा के भरोसे है तो स्वप्निल कमलनाथ के। दोनों यहीं पर अटके हुए हैं। महू में रामकिशोर शुक्ला को कांग्रेस में ले तो आए, लेकिन उन्हें टिकट दिलाने में जीतू पटवारी को एड़ी-चोंटी का जोर लगाना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी कमलनाथ से सीधे पटरी नहीं बैठती है तो दरबार को दिग्गी राजा आश्वासन दे चुके हैं। कल फिर सीईसी की बैठक होना है।
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