इंदौर। भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्षों के नाम की सूची आते-आते रुकती रही। भाजपा के बड़े नेताओं ने अपने समर्थकों की लड़ाई को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में सामने आ रहे विवादों के समाधान के लिए मुख्यमंत्री निवास पर लंबी बैठक भी हुई। रविवार के दिन से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बस जिला अध्यक्ष की सूची जारी की जा रही है। सबसे पहले तो रविवार की रात को यह सूची आने वाली थी, जो नहीं आ सकी। इसके बाद कल सोमवार को सुबह से लेकर रात तक बार-बार यही जानकारी सामने आती रही कि बस थोड़ी देर में सूची जारी की जा रही है। जब दिनभर में सूची नहीं आ सकी तो कहा गया था कि रात के 10 बजे तक सूची जारी कर दी जाएगी। भाजपा के 60 जिला अध्यक्षों में से 40 जिला अध्यक्ष के नाम फाइनल हो गए हैं। जो नाम फाइनल हुए हैं, उनकी सूची को आज ही जारी कर दिया जाएगा। बाकी बचे हुए नामों पर अगले दो दिन में विचार-विमर्श कर सहमति बनाई जाएगी। यह जानकारी भी समय के साथ-साथ गलत निकल गई।
अग्निबाण ने पहले ही अपने समाचार के माध्यम से पाठकों को यह जानकारी दे दी थी कि भाजपा के बड़े नेताओं ने समर्थकों को जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्त कराने के लिए मैदान संभाल लिया है। इन नेताओं द्वारा अपने समर्थकों की नियुक्ति को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया गया है। हर नेता अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में अपने समर्थक के माध्यम से संगठन पर कब्जा करना चाहता है। इस स्थिति में भाजपा के बड़े नेताओं के बीच जमकर टकराव के हालात बन गए हैं।
जिन जिला अध्यक्षों को लेकर भाजपा के नेताओं के बीच सहमति बनी थी, उनमें से कई जिलों के अध्यक्ष के नाम पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहमत नहीं थे। ऐसी स्थिति में अब तक सहमति के लिए की गई पूरी कसरत पर पानी फिरता हुआ नजर आने लगा है। कल दोपहर बाद भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी शामिल हुए। इस बैठक में कई घंटे तक विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद इस बैठक के बारे में जानकारी दिल्ली दी गई। रात तक जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के मामले में बड़े नेताओं को सहमत कराने की कोशिश की जाती रही।
15 जनवरी तक होना है प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव 15 जनवरी तक होना है। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू होगी। दिल्ली से यह संदेश स्पष्ट है कि 15 जनवरी के पहले नए प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन हो जाना चाहिए। अब भाजपा की ओर से कहा जाने लगा है कि यदि आधे जिलों के जिला अध्यक्ष नियुक्त हो गए तो भी प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाएगा।
अभी बड़ा टकराव तो होना बाकी है
जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में ही भाजपा के नेताओं के बीच में इतने अधिक टकराव के हालात बन गए हैं। अभी तो प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना शेष है। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के बीच सहमति बन सकेगी, इस बात की संभावना बहुत ही कम है। ऐसे में निश्चित तौर पर दिल्ली की पसंद को ही अध्यक्ष के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
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