नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के संदेशखालि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने संसद की विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर रोक लगा दी है. विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई है. ममता सरकार की याचिका पर कोर्ट ने ये कदम उठाया है. इसके साथ ही लोकसभा सचिवालय को नोटिस दिया गया है और 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है. जब धारा 144 लागू है तो उसका कैसे उल्लंघन किया जा सकता है. धारा 144 लागू होने पर राजनीतिक कार्यक्रम नहीं कर सकते. सिब्बल ने कहा कि जो शिकायत दर्ज कराई गई है वो पूरी तरह से गलत कहानी पर की गई है. हम वीडियो दिखा सकते हैं. वहां जाने वाले सांसद भी उस क्षेत्र के नहीं है.
कब शुरू हुआ यह मामला ?
पश्चिम बंगाल के उत्तर परगना 24 का संदेशखालि गांव की महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शेख शाहजहां पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कुछ महिलाओं के साथ यौन शोषण भी किया, इसके साथ ही शाहजहां पर उनकी जमीन पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया गया है. बीजेपी कार्यकर्ता टीएमसी के नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों द्वारा महिलाओं पर कथित अत्याचार किए जाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले को लेकर भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार पश्चिम बंगाल में हिंसा प्रभावित संदेशखली जा रहे थे, लेकिन उनके वहां जाने पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ता और पुलिस कर्मियों के बीच हाथापाई हो गई. झड़प के दौरान मजूमदार के कई चोटें लगी थीं. इस घटना को लेकर मजूमदार ने श्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.
राज्य के अधिकारियों को होना था पेश
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने मजूमदार की शिकायत पर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को तलब किया था. मजूमदार ने दुर्व्यवहार, क्रूरता और गंभीर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था. नोटिस के अनुसार, समिति ने मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका, पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार, उत्तर 24 परगना के जिलाकारी शरद कुमार द्विवेदी, बशीरहाट के पुलिस अधीक्षक हुसैन मेहदी रहमान और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पार्थ घोष को 19 फरवरी को अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा था.
अधिकारियों की उपस्थिति के नोटिस पर लगाई रोक
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य के अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर को सुना और उसके बाद 19 फरवरी की सुबह 10.30 बजे राज्य के अधिकारियों की उपस्थिति के लिए जारी नोटिस पर रोक लगा दी. इस मामले के अलावा महिलाओं के टीएमसी नेता शेख शाहजहां पर लगाए गए यौन उत्पीड़न को लेकर दायर याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी, जो कि आज होगी. इस मामले की सुनवाई और जांच पश्चिम बंगाल के बाहर कराने की मांग की गई है.
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