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    बजट से इंश्योरेंस सेक्टर को बड़ी उम्मीदें, विश्व में 11वां स्थान रखता है भारत का इंश्योरेंस मार्केट

  • January 25, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi) । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी 2023 को देश का अगला आम बजट (general budget) प्रस्तुत करेंगी। सभी इंडस्ट्रीज की कुछ ना कुछ डिमांड बजट से है। भारत का इंश्योरेंस मार्केट (insurance market) विश्व में 11वां स्थान रखता है। इस वैल्यू करीह 131 अरब डॉलर की है। ऐसे में बजट से भी इंश्योरेंस सेक्टर को बड़ी उम्मीदें हैं –

    पॉलिसीबाजार डॉट कॉम (policybazaar.com) के प्रेसिडेंट और सीईओ सरबवीर सिंह ने कहा, “कोरोना महामारी (corona pandemic) का समय कठिनाईयों, फ्लेक्सिबिलिटी और आत्मनिरिक्षण का समय रहा है। कोरोना महामारी का सामना करने के बाद ग्राहकों के लिए इस समय सबसे अधिक आवश्यक है कि वह एक स्वस्थ जीवन और अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने भविष्य को वित्तिय रूप से मजबूत रखें। महामारी के बाद से ग्राहकों में एक मजबूत सुरक्षा कवच के साथ अपने भविष्य को वित्तिय रूप से मजबूत करने की इच्छा ने ग्राहकों की इंश्योरेंस की प्रति जागरूकता को बढ़ा दिया है।”


    इंश्योरेंस देखो के फाउंडर और सीईओ अंकित अग्रवाल कहते हैं, “हम अगले बजट में कई सुधार की उम्मीद कर रहे हैं जिससे इंश्योरेंस सेक्टर को गति मिल सके। हमें सरकार से उम्मीद है कि इंश्योरेंस बिजनेस शुरू करें के लिए 100 करोड़ रुपये के मिनिमम कैपिटल को घटाया जाए। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग ये बिजनेस कर पाएं।”

    बजट 2023 से इंश्योरेंस इंडस्ट्री की मांगे-
    1- टर्म इंश्योरेंस को अधिक प्रोत्साहन:
    टैक्स छूट के लिए टर्म इंश्योरेंस की एक अलग श्रेणी शुरू करने की आवश्यकता है क्योंकि धारा 80सी के तहत अन्य कटौतियों के तहत मौजूदा 1.5 लाख की लिमिट आसानी से खर्च हो जाती है।

    2- हेल्थ इंश्योरेंस में मौजूदा टैक्स डिस्काउंट को बढ़ाना:
    हेल्थ इंश्योरेंस के दृष्टिकोण (health insurance perspective) से, महामारी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस की उच्च मांग के अनुरूप इंश्योरेंस इंडस्ट्री तेजी से विकसित हुई है। इसलिए, इस मांग के अनुरूप और धारा 80डी के तहत टैक्स डिस्काउंट की लिमिट को कम से कम 1 लाख रुपये तक बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, अंतिम उपभोक्ता के लिए इसे और अधिक लागत प्रभावी बनाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाली जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जाना चाहिए।

    3-एन्युटी इनकम को टैक्स-फ्री बनाना:
    इसके अलावा, पेंशन उत्पादों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एन्युटी प्लान्स से उत्पन्न आय को भी टैक्स-फ्री किया जाना चाहिए।

    4- होम इंश्योरेंस के लिए टैक्स बेनिफिट:
    होम इंश्योरेंस अक्सर अनदेखा किया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रोडक्ट है जिसे टैक्स लाभों के माध्यम से बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने की आवश्यकता है, और इसलिए होम इंस्योरेंस के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर भी टैक्स में छूट मिलनी चाहिए।

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