नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को किराए पर स्रोत पर कर (TDS) कटौती की वार्षिक सीमा को वर्तमान 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने का ऐलान किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman0) ने अपने बजट भाषण में कहा, मैं टीडीएस की कटौती (Deduction of TDS) की दरों और सीमा को कम करके स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव करती हूं।
इसके अलावा, बेहतर स्पष्टता और एकरूपता के लिए कर कटौती की सीमा राशि बढ़ाई जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि किराए पर टीडीएस के लिए 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे टीडीएस के लिए उत्तरदायी लेनदेन की संख्या कम हो जाएगी, जिससे छोटे करदाताओं को छोटे भुगतान प्राप्त करने में लाभ होगा।
बजट दस्तावेज के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 194-आई के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, जो किसी निवासी को किराए के रूप में कोई आय देने के लिए जिम्मेदार है, उसे लागू दरों पर आयकर तभी काटना चाहिए, जब ऐसी किराये की आय की राशि एक वित्तीय वर्ष में 2.4 लाख रुपये से अधिक हो। इसमें कहा गया है, “स्रोत पर कर कटौती की आवश्यकता के लिए किराए के माध्यम से आय की इस सीमा राशि को एक वित्तीय वर्ष में 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर एक महीने या एक महीने के हिस्से में 50,000 रुपये करने का प्रस्ताव है।”
टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि बजट में किया गया यह प्रस्ताव उन सभी लोगों को प्रभावित करता है जो किराया देते हैं (या प्राप्त करते हैं) और टीडीएस के अधीन हैं- चाहे वह घर का किराया हो या कार्यालयों, दुकानों या अन्य संपत्तियों का किराया हो। वार्षिक टीडीएस-ऑन-रेंट सीमा को 2.40 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने से, कम मूल्य के किराये के लेन-देन में टीडीएस कटौती की आवश्यकता कम होगी।
इससे मुख्य रूप से मकान मालिकों (विशेष रूप से छोटे मकान मालिकों) को लाभ होगा, जिन्हें प्रति वर्ष 6 लाख रुपये से कम किराया मिलता है, क्योंकि किरायेदार अब उस किराए पर टीडीएस नहीं काटेंगे। इससे कम किराया देने वाले किरायेदारों को भी लाभ होगा, क्योंकि उन्हें टीडीएस काटने और जमा करने से जुड़े अतिरिक्त कागजी कार्रवाई या अनुपालन कार्यों को नहीं संभालना पड़ेगा। यानी अगर वार्षिक किराया 6 लाख रुपये से कम है, तो किराए पर टीडीएस लागू नहीं होगा (यदि यह प्रस्ताव कानून बन जाता है)। इसका उद्देश्य छोटे करदाताओं की मदद करना है।
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