पटना। बिहार में कोरोना जांच (Covid-19 test ) में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद सरकार ने जमुई के सिविल सर्जन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रतिरक्षण पदाधिकारी समेत सात लोगों को निलंबित कर दिया है। चार अफसरों पर मुख्यालय स्तर पर कार्रवाई की गई है, जबकि तीन पर जिला को बर्खास्त किया गया है। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चलेगी। इधर सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी जिलों में जांच के निर्देश भी दे दिए हैं।
जमुई में कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट के आंकड़ों में नाम, उम्र एवं फोन नंबर में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। शुक्रवार को यह मामला राज्यसभा में भी उठा। मामला सामने आने पर सरकार ने सख्त कदम उठाए और इन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने सभी जिलों में जांच के आदेश दिए गए हैं। मंत्री पांडेय ने कहा कि इस मामले की जांच में यदि एएनएम या लैब टेक्नीशियन दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि कोविड-19 की जांच में जिन अधिकारियों की जिम्मेवारी थी, उनके स्तर पर लापरवाही बरती गई है। इसके बाद इन्हें निलंबित किया गया है। जिन पदाधिकारियों को निलंबित किया गया है उनमें जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विजेंद्र सत्यार्थी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जमुई सह इम्युनाइजेशन अफसर डॉ. विमल कुमार चौधरी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सिकंदरा डॉ. साजिद हुसैन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बरहट डॉ. एनके मंडल हैं। इसके अलावा जिलों के तीन स्वास्थ्य मैनेजर को बर्खास्त किया गया है।
कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े के मामले के जोर पकडऩे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मंत्री के निर्देश पर अलग-अलग 12 टीमों का गठन किया है। इन टीमों की जिम्मेदारी होगी कि वे संबंधित जिले में कोरोना टेस्ट के आंकड़ों की जांच करें और रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपे। यदि इस दौरान जांच में कोई गड़बड़ पाई जाती है तो टीम अपनी रिपोर्ट में सरकार से कार्रवाई की अनुशंसा भी करेगी। इधर मंत्री ने स्वास्थ्य के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को निर्देश दिए हैं कि वे सभी जिलाधिकारियों से जांच की रिपोर्ट प्राप्त करें।
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