इंदौर (Indore)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इसी साल 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव (assembly elections) को लेकर अपनी कमर कस ली है। वहीं इंदौरी भूमाफियाओं (Indori land mafia) ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने सभी को चौंका दिया है। जानकारी के लिए आपको बता दे की 2 साल पहले सीएम शिवराज (CM Shivraj) के निर्देश पर इंदौर सहित पूरे मध्य प्रदेश में ऑपरेशन माफिया (operation mafia) चलाया गया था।
इस ऑपरेशन के तहत गृह निर्माण संस्थाओं की हड़पी जमीनों के मामले भी शामिल थे और इंदौर के कई चर्चित भूमाफियाओं के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज करवाने के साथ उन्हें जेल भी भेजा गया था। लेकिन अब जांच एजेंसी यानी लोकायुक्त उन अफसरों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर रही है जो सरकार के आदेशों का पालन करते हुए इन भू माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ-साथ भूखंड पीड़ितों को न्याय दिलवाने में भी जुटे रहे। ऐसी ही एक भूमाफिया द्वारा बनाई गई जेबी संस्था त्रिशला गृह निर्माण संस्था भी है, जिसमें दीपक मद्दे की पूरी भागीदारी रही और वो इस संस्था का अध्यक्ष भी रहा।
इससे जुड़े फर्जीवाडे के मामलों में उसके खिलाफ़ खजराना व अन्य थाने पर एफआईआर भी दर्ज हुई और त्रिशला गृह निर्माण संस्था ने जो जमीन फर्जी तरीके से हासिल की थी। उसे सरकारी भी घोषित किया गया। हालांकि प्रशासन के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और वहां से स्टे मिला हुआ है। अब इस मामले में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम ये सामने आया कि लोकायुक्त ने उन अधिकारियों के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज कर लिया जो त्रिशला गृह निर्माण की जांच शासन निर्देश पर करवा रहे थे।
इनमे तत्कालीन अपर कलेक्टर अभय बेडेकर के साथ थाना प्रभारी और सहकारिता निरीक्षक सहित अन्य शामिल है। एक आश्चर्य की बात और है कि लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की जिस धारा 7 (ग) में यह प्रकरण दर्ज किया है। उसमें अवैध रूप से आर्थिक लाभ प्राप्त करने का आरोप रहता है जबकि त्रिशला गृह निर्माण की जिस जमीन के संबंध में ये प्रकरण दर्ज हुए हैं उसे तो इन अधिकारियों ने सरकारी घोषित किया है।
यानी लोकायुक्त ने आर्थिक लाभ प्राप्त करने की जो धारा लगाई है। वह भी समझ से परे हैं। क्योंकि जमीन किसी निजी व्यक्ति या संस्था को नहीं सौंपी, बल्कि उसे सरकारी घोषित किया गया है और ऐसे मामले में किसी अधिकारी को आर्थिक लाभ कैसे हो सकता है। कुल मिलाकर भू माफिया के हौसले इस कदर बुलंद है कि वो घोटाले की जांच करने वाले अधिकारियों के खिलाफ ही लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज करवा रहे है।
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