हममें से ज्यादातर लोगों ने स्कूल में जीव विज्ञान (biology) की किताबों में एक तस्वीर देखी है जिसमें छोटे-छोटे आकार के तैराकी स्पर्म अपने से कई गुना बड़े एग को फर्टिलाइज करने की रेस लगाते नजर आते हैं. शरीर में एग्स को फर्टिलाइज (Fertilize) करने में स्पर्म की अहम भूमिका होती है. हालांकि, स्पर्म का आकार इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रजनन की प्रक्रिया और जगह क्या है. ये दावा नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल (Journal of Nature Ecology and Evolution) में छपी एक स्टडी में किया गया है. स्टडी में कहा गया है कि जानवरों में एग्स फर्टिलाइजेशन और स्पर्म के आकार के विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण बातों की अब तक अनदेखी की जाती रही है.
इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने स्पर्म के आकार पर 21 विभिन्न जानवरों के समूहों से 3,000 से अधिक प्रजातियों के स्पर्म रिकॉर्ड का एक डेटाबेस (database) बनाया. इसे ‘फाइला’ के रूप में जाना जाता है. स्पर्म की लंबाई और फर्टिलाइजेशन मेथड पर ये सबसे बड़ा डेटाबेस है. ये स्टडी जानवरों (animals) के तीन वर्गों के एग फर्टिलाइजेशन (प्रजनन) के बारे में बताती है.
स्टडी में तीसरा वर्ग क्रस्टेशिया जीवों (crustacean organisms) का है जिनमें केकड़े और झींगा जैसी बार्नाकल प्रजाति आती है. ये प्रजाति भी अपने स्पर्म जलीय वातावरण में छोड़ती है, जहां पानी के आसपास रहने वाले मादा जानवर इस पानी के जरिए अपने एग फर्टिलाइज करते हैं. शोधकर्ताओं ने स्टडी में तुलना की कि किस तरह इन तीन अलग-अलग प्रकार के जानवरों में स्पर्म का विकास कैसे अलग-अलग तरीकों से होता है. इसके जरिए शोधकर्ताओं ने एक नई बात बताई कि किस तरह फर्टिलाइजेशन मेथड (Fertilization Method) स्पर्म के साइज पर भी असर डालता है.
स्टडी में प्रमुख रूप से चार बातों को जिक्र किया गया है जिसका असर स्पर्म के आकार पर पड़ता है. क्रस्टेशिया और बाहर की तरफ एग फर्टिलाइज करने वालों में स्पर्म का आकार छोटा होता है. इसके विपरीत, शरीर के अंदर फर्टिलाइज करने वाले जानवरों में स्पर्म आमतौर पर लंबे होते हैं. क्रस्टेशिया और शरीर में फर्टिलाइज करने वाले जानवरों में स्पर्म की लंबाई तेजी से बढ़ती है.
स्टडी में पाया गया कि सेक्स के बाद जानवरों में स्पर्म की लंबाई और विकास प्रभावित होती है. इस नई स्टडी से, वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि मादा जानवर स्पर्म के आकार और विकास में बड़ी भूमिका निभाती हैं. वैज्ञानिक अभी भी स्पर्म के विकास को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं. हालांकि, स्टडी के नतीजे बताते हैं कि किस तरह फर्टिलाइजेशन मेथड स्पर्म की लंबाई बदल देते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि प्रजनन सफल होगा या नहीं.
स्पर्म का आकार
स्पर्म का आकार- हर जानवर में स्पर्म का आकार अलग होता है. लगभग सभी स्पर्म में एक सिर, बीच का भाग और एक पूंछ होती है, जिससे स्पर्म तैरता है. इसके अलावा स्पर्म का आकार और लंबाई अलग-अलग प्रजातियों में भिन्न-भिन्न होती है. इंसानों के स्पर्म का सिर गोल और चिकना होता है, लेकिन चूहों के स्पर्म के सिर कांटे की तरह होते हैं और पूंछ की लंबाई भी अलग-अलग होती है. इनमें प्रजनन क्षमता भी एक-दूसरे से अलग होती है.
2015 की एक स्टडी में पाया गया कि बड़े जानवरों में आमतौर पर स्पर्म प्रजनन तंत्र में पहुंचने से पहले ही कहीं खो जाता है और एग तक नहीं पहुंच पाता है. लंबा होने पर स्पर्म कम बनता है. इसलिए, इन प्रजातियों के लिए बड़े स्पर्म पैदा करना फायदेमंद नहीं है. हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि हाथी जैसे जानवर फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में छोटे-छोटे स्पर्म बनाते हैं.
स्पर्म का फर्टिलिटी पर असर
स्पर्म का फर्टिलिटी पर असर- नेचर जर्नल की नई स्टडी में फर्टिलाइजेशन मोड के आधार पर पशु समूहों के स्पर्म की लंबाई में महत्वपूर्ण अंतर पाया गया है. जो जानवर आंतरिक और बाह्य रूप से फर्टिलाइज होते हैं, उनमें लंबे स्पर्म होते हैं. इंसानों में, यह स्पष्ट नहीं है कि स्पर्म का आकार प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है. हालांकि, पिछली स्टडी में पाया गया है कि नियमित आकार के विपरीत स्पर्म की लंबाई में व्यापक भिन्नता वाले पुरुष ऐसे स्पर्म बनाते हैं जो तैर नहीं सकते.
स्पर्म पर स्टडी
हालांकि, ये जरूरी नहीं है कि बड़ा स्पर्म हमेशा बेहतर ही हो. हर जानवर के स्पर्म इस हिसाब से बनते हैं कि वो ज्यादा से ज्यादा फर्टिलाइजेशन की संभावना को बढ़ा सके ताकि उसकी प्रजातियों का अस्तित्व बना रहे.
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