नई दिल्ली: आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट में बड़ा खुलासा हुआ है. ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, सिसोदिया ने कानूनी विशेषज्ञ की सलाह को दरकिनार करने के लिए कैबिनेट नोट में बदलाव किया, जो उनके गुप्त उद्देश्य के लिए बाधा बन सकता था. मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट नोट के मसौदे को बदलवा किया ताकि कानूनी विशेषज्ञों (जो तत्कालीन मौजूदा नीति को जारी रखने की वकालत करते थे और इस तरह उनके मत के खिलाफ थे) की राय को रिकॉर्ड पर नहीं लाया जा सके. इतना ही नहीं सिसोदिया ने पुराने कैबिनेट नोट को नष्ट करवाया ताकि इसका कोई सबूत न बचे.
इसके अलावा, जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि मसौदे को लेकर जब आखिरी बार विचार हुआ था, उसके बाद फाइल सिसोदिया को सौंप दी गई थी. मनीष सिसोदिया को यह फाइल अधिकारी प्रवेश झा ने 28 जनवरी 2021 को सौंपी थी. लेकिन इसके बाद फाइल उस अधिकारी को वापस नहीं की गई.
क्या हैं आरोप
1- सिसोदिया ने कैबिनेट नोट के पुराने मसौदे वाली फाइल को नष्ट कर दिया, ताकि इसका कोई सबूत न रह जाए.
2- आप के शीर्ष नेता ने कार्यकर्ता के माध्यम से विजय नायर को एजेंसियों से झूठ बोलने की सलाह दी.
3- जांच को पटरी से उतारने की कोशिश और सबूतों को नष्ट करने का सबूत महेंद्र चौधरी के फोन से भी बरामद किया गया है.
महेंद्र चौधरी को दुर्गेश पाठक ने विजय नायर की मदद करने के लिए कहा था. जब नायर अगस्त 2022 में विदेश से वापस आए थे. महेंद्र चौधरी की वॉयस रिकॉर्डिंग में जांच एजेंसियों से झूठ बोलने की सलाह दी गई थी. ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, विजय नायर और अमित अरोड़ा ने पंजाब में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर कुछ शराब निर्माताओं को बाहर किया.
महादेव लिकर्स को मजबूर किया
अमित अरोड़ा और अन्य लोगों के साथ विजय नायर ने मार्च 2022 में पंजाब में आम आदमी पार्टी के चुनाव के बाद वहां आप की सरकार बनने के बाद वहां की सरकारी मशीनरी का उपयोग करके महादेव लिकर्स को दिल्ली में अपना एल 1 लाइसेंस सरेंडर करने के लिए मजबूर किया. विजय नायर द्वारा अन्य सहयोगियों के साथ की गई इस साजिश और धमकी के परिणामस्वरूप महादेव लिकर्स ने लाइसेंस सरेंडर कर दिया. इसके बाद मैसर्स शिव एसोसिएट्स और मैसर्स दीवान स्पिरिट्स को लाइसेंस दे दिया गया, जिससे 8.02 करोड़ रुपये अर्जित किए.
विजय नायर को था सिसोदिया का समर्थन
ईडी की चार्जशीट के मुबातिक, विजय नायर की आपराधिक गतिविधियों को मनीष सिसोदिया का समर्थन प्राप्त था. विजय नायर ने जो 8.02 करोड़ घूस दी थी वो सिसोदिया की जानकारी में थी. शराब घोटाले के दौरान सिसोदिया द्वारा उपयोग किए गए 14 मोबाइल फोन में से केवल 3 फोन या तो सीबीआई द्वारा जब्त किए गए थे या उनके द्वारा ईडी के सामने समक्ष पेश किए गए थे. सिसोदिया द्वारा यूज किया गया एक फोन आप पार्टी कार्यकर्ता सुशील सिंह के पास से जब्त किया गया. इसके अलावा सिसोदिया द्वारा इस्तेमाल किया गया एक और फोन पूछताछ के दौरान एक शख्स जावेद खान के पास से मिला.
मनीष सिसोदिया ने बताया कि बाकी 9 फोन उनके नहीं थे और पार्टी के दूसरे कार्यकर्ताओं के हो सकते हैं. लेकिन उन 9 फोन के बारे मे सिसोदिया ने कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी. इन 14 फोन में 43 सिम कार्ड इस्तेमाल किए गए. उन्होंने स्वीकार किया कि 43 में से सिर्फ 5 उनके नाम पर खरीदे गए बाकी किसी दूसरे के नाम पर लिए गए थे.
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