मुंबई: जीएसटी चोरी के एक के बाद एक मामले का खुलासा हो रहा है. केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) आयुक्तालय, दिल्ली पूर्व के अधिकारियों ने विस्तृत विश्लेषण के बाद फर्जी निर्यातकों के एक नेटवर्क का पता लगाया, जो धोखाधड़ी से आईजीएसटी रिफंड का दावा करने के इरादे से, वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत 134 करोड़ रुपये के नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ प्राप्त करने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे थे.
सरकारी खजाने को जीएसटी चोरी से हर साल सैकड़ों करोड़ का नुकसान होता है. कोरोना काल में जब सरकार की माली हालत खराब है, उसे उम्मीद है कि जीएसटी की मदद से खजाने में मोटी रकम आएगी. जोखिम विश्लेषण के आधार पर, एक जोखिमपूर्ण निर्यातक मेसर्स वाइब ट्रेडेक्स की जांच के लिए पहचान की गई थी. मेसर्स वाइब ट्रेडेक्स पान मसाला, चबाने वाले तंबाकू, एफएमसीजी वस्तुओं आदि के निर्यात में लगा हुआ है. फर्जी निर्यातकों का नेटवर्क चिराग गोयल नाम के एक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा था, जो ब्रिटेन के सुंदरलैंड विश्वविद्यालय से एमबीए है.
उनका सहयोगी, जो फरार है, के स्वामित्व वाली दो आपूर्तिकर्ता फर्मों/कंपनियों द्वारा तैयार किए गए ई-वे बिलों के व्यापक विश्लेषण के बाद, यह पाया गया कि जिन वाहनों के लिए माल की आपूर्ति के लिए ई-वे बिल तैयार किया गया था. उनका उपयोग गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के दूरदराज के शहरों में किया जा रहा था और उक्त अवधि के दौरान कभी भी दिल्ली में प्रवेश नहीं किया था. इस दौरान 134 करोड़ रुपये के नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने और इस्तेमाल करने के बारे में पता चला.
चिराग गोयल ने सरकार को धोखा देने के लिए एक गहरी साजिश रची और सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132(1)(सी) के तहत निर्दिष्ट अपराध किए, जो संज्ञेय और गैर-जमानती हैं. उन्हें मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पटियाला हाउस कोर्ट, नई दिल्ली द्वारा 26.10.2021 तक 14 दिनों की अवधि के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. मामले में आगे की जांच जारी है.
GSTIN यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर 15 अंकों की वह संख्या है जो बिजनेस के GST का साथ रजिस्टर कराने पर मिलता है. हरेक GST Invoice पर अनिवार्य रूप से 16 फील्ड्स होते हैं जिनमें खरीदारी या ट्रांजैक्शन से जुड़ी सभी जानकारियां रहती हैं.
GSTIN में पहला 2 अंक स्टेट यानी राज्य का कोड होता है. इसके बाद का 10 अंक बिजनेस या व्यक्ति का PAN नंबर होता है. वहीं 13वां अंक राज्यों के रजिस्ट्रेशन की संख्या के आधार पर आवंटित होता है. 14वां अंक डिफॉल्ट रूप से Z होता है और अंतिम यानी 15वां अंक चेक कोड होता है. अगर इस क्रम में कोई गड़बड़ी है तो समझ लीजिए कि GST बिल फर्जी है.
ऐसे चेक करें GST बिल रियल है या फेक
GSTIN असली है या नकली, यह चेक करने के लिए सबसे पहले GST के आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं. -इसके बाद सर्च टैक्सपेयर के लिंक पर क्लिक करके ड्रॉपडाउन मेन्यू में सर्च GSTIN/UIN पर क्लिक करें. इसके बाद बिल पर अंकित GSTIN एंटर करें और कैप्चा कोड भरने के बाद Search बटन पर क्लिक करें.
अगर GSTIN नंबर गलत होगा तो इनवैलिड GSTIN लिखा दिखाई देगा. लेकिन अगर यह सही होगा तो बिजनेस की सभी जानकारियां नजर आएंगी. यदि एक्टिव पेंडिंग वेरिफिकेशन दिखाई दे रहा है तो वह बिजनेस के लिए प्रोविजनल आईडी होगा. इसका मतलब है कि बिजनेस एंटिटि ने GSTIN के लिए अप्लाई किया है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved