नई दिल्ली। सुप्रीम कर्ट (supreme court) ने बुधवार को माइनिंग रॉयल्टी पर बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने राज्यों को 1 अप्रैल 2005 के बाद से केंद्र सरकार और खनन कंपनियों (mining companies) से खनिज संपन्न भूमि पर रॉयल्टी का पिछला बकाया वसूलने की अनुमति दे दी। सरकारी और निजी क्षेत्र की खनन कंपनियों पर 1.5 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। कोर्ट के इस फैसले से खनिज संपदा वाले राज्यों को फायदा होगा।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र और खनन कपंनियां अगले 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से राज्यों को बकाये का भुगतान कर सकती हैं। हालांकि कोर्ट ने खनिज संपन्न राज्यों को रॉयल्टी के बकाये के भुगतान पर किसी तरह का जुर्माना न लगाने का निर्देश दिया है। इस फैसले से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को फायदा होगा।
सरकारी और निजी क्षेत्र की खनन कंपनियों पर राज्यों का 1.5 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार सरकारी कंपनियों पर 70,000-80,000 करोड़ रुपये का बकाया है। सरकारी स्टील कंपनी सेल पर 3,000 करोड़ रुपये का बकाया है। टाटा स्टील पर राज्यों का 17,347 करोड़ रुपये बकाया है। एनएमडीसी के चेयरमैन अमिताभ मुखर्जी ने कहा कि इस फैसले का खनन उद्योग पर व्यापक असर पड़ेगा। कोर्ट के इस फैसले का सरकारी कंपनी कोल इंडिया पर और अधिक बोझ पड़ेगा। कंप्टीशन बढ़ने और मार्जिन घटने से उसकी मुश्किलें बढ़ती जा रही है। इससे कंपनी के आधुनिकीकरण और विस्तार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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