नई दिल्ली. भारत (India) में दिए जाने वाले खेल रत्न अवॉर्ड (Ratna Award) का नाम हॉकी (Hockey) के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) के नाम पर रखा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को इसका ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि नागरिक लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे. नई घोषणा के बाद अब पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड कहा जाएगा. खास बात यह है कि एक दिन पहले ही भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो में चल रहे ओलंपिक्स 2020 में जर्मनी को मात देकर कांस्य पदक जीता था.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद!’
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
जय हिंद!
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं. विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है.’
Major Dhyan Chand was among India’s foremost sportspersons who brought honour and pride for India. It is fitting that our nation’s highest sporting honour will be named after him.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
दिवंगत मेजर ध्यानचंद के बेटे और पूर्व हॉकी प्लेयर अशोक ध्यानचंद ने बातचीत में टोक्यो ओलंपिक्स में भारत के प्रदर्शन को लेकर कहा, ‘हॉकी कहीं दबी हुई रखी हुई थी, उस हॉकी को आज निकाल लिया है और वह पूरे नक्शे पर आ गई है भारत के.’ इस दौरान उन्होंने सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को मिले प्रोत्साहन की तारीफ की है. महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा, ‘महिलाओं ने दिल जीत लिया है.’ राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखे जाने पर उन्होंने सरकार का धन्यवाद किया है.
ऐसा रहा हॉकी के जादूगर का सफर
29 अगस्त 1905 में इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद को भारतीय हॉकी के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक माना जाता है. महज 16 साल की उम्र में वो सेना में भर्ती हो गए थे. इसके बाद उन्होंने 1922 के बाद से आर्मी टूर्नामेंट्स में खेलना शुरू किया. फील्ड पर उनके कौशल को देखकर ध्यानचंद को भारतीय सेना की टीम में शामिल किया गया. 1926 में टीम के साथ न्यूजीलैंड टूर पर गए थे.
कहा जाता है कि टूर्नामेंट में उनकी टीम ने 21 में 18 में जीत दर्ज की थी और ध्यानचंद को उनके प्रदर्शन के लिए काफी सराहना मिली थी. भारत लौटने पर उन्हें लांस नायक बनाया गया. उन्होंने साल 1940 तक हॉकी खेलना जारी रखा और 1956 में सेना से मेजर के तौर पर रिटायर हुए. सेवानिवृत्त होने के बाद कोच बन गए थे. हॉकी के इस जादूगर ने 3 दिसंबर 1979 को दिल्ली में अंतिम सांस ली.
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