नई दिल्ली: भारतीय रेल (Indian Railways) ने एक अहम फैसले के तहत अलग-अलग जोनल रेलवे में मौजूद अपनी सभी पांच प्रिंटिंग प्रेसों (Indian Railways Printing Presses) को बंद करने के आदेश को मार्च 2023 तक टाल दिया है. रेलवे की तरफ से सभी जोनल प्रमुखों को कहा गया है कि वह फिलहाल कुशल और लागत प्रभावी उत्पादन को जारी रखते हुए प्रिंटिंग प्रेसों को चलाएं. हालांकि रेलवे बोर्ड ने यह भी कहा है कि सभी नॉन गजेटिड के रिक्त पदों को तत्काल प्रभाव से सरेंडर कर दिया जाए. रेलवे के इन प्रिंटिंग प्रेसों में कई महत्वपूर्ण व संवेदनशील दस्तावेज की छपाई होती है.
दरअसल, पहले टिकट व रेलवे पास (Railway Tickets and Pass) सहित अन्य दस्तावेजों को छापने के लिए भारतीय रेल में कुल 14 प्रिंटिंग प्रेस थे. साल 2009 में इन्हें बंद करने का खाका तैयार किया गया था, जिसके बाद एक-एक करके प्रिंटिंग प्रेस बंद कर दिए गए और अब केवल पांच प्रिंटिंग प्रेस रह गए हैं. ये सभी सेंट्रल रेलवे के मुंबई/बायकुला, ईस्टर्न रेलवे में हावड़ा, नॉदर्न रेलवे में शकूरबस्ती/दिल्ली, साउदर्न रेलवे में चेन्नई/रोयापुरम और साउथ-सेंट्रल रेलवे में सिकंदराबाद में मौजूद हैं.
भारतीय रेल (Indian Railways) की तरफ से सभी जोनल प्रमुखों को जारी आदेश में कहा गया है कि इन सभी पांचों प्रिंटिंग प्रेस को बंद किए जाने के आदेश को मार्च 2023 के अंत तक स्थगित किया जाता है. साथ ही उनसे कॉस्ट इफेटिव प्रोडक्शन के साथ प्रेसों को जारी रखने को कहा गया है. इसमें उन्हें प्रिंटिड टिकटों और मनी वेल्यू आइट्मस की आउटसोर्सिंग को मार्च 2023 तक बंद करने को कहा गया है. इसके साथ ही कहा गया है कि प्रिंटिंग प्रेस से प्रिंटिंग टिकट और मनी वैल्यू आइटम निकालने के लिए इंडेंट प्लेसमेंट तंत्र को रेलवे द्वारा ऑनलाइन किया जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि रेलवे संगठनों की तरफ से पहले से ही रेलवे बोर्ड पर प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने के आदेश को वापस लिए जाने का दबाव बनाया जा रहा था. नेशनल फेडरेशन ऑफ ऑल इंडियन रेलवेमैन (NFIR) के महामंत्री एम रघुवैया ने कहा बोर्ड के पत्र में प्रिंटिंग प्रेस में सभी अराजपत्रित रिक्त पदों को तत्काल प्रभाव से सरेंडर किया जाने की जो बात कही गई है, उसे लेकर हमने डिमांड कि है कि अगर पदोन्नति/एलडीसीई कोटा के अगेंस्ट मौजूदा कर्मचारियों की पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों को आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी जाती है, तो कर्मचारियों के करियर की वृद्धि कम हो जाएगी, इसलिए इस पर विचार किया जाए.
वहीं, संगठन के प्रवक्ता और यूआरएमयू (URMU) के अध्यक्ष एसएन मलिक कहते हैं कि पहले इन पांचों प्रेसो में से तीन में काम चल रहा, लेकिन दिल्ली और सिकंद्राबाद की प्रेस में काम नहीं चल रहा था. लेकिन नए आदेश के तहत अब इन पांचों प्रेस में मौजूद करोड़ों रुपये की मुद्रण मशीनों से पहले की तरह ही काम चालू किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बोर्ड ने कर्मचारियों की भलाई के लिए फेडरेशन की मांग को मांगते हुए काम को जारी रखने का फैसला लिया है, यह सराहनीय है. अब प्रेसों में काम शुरू होने से रेलवे के दस्तावेज और जरूरी फॉर्म सहित अन्य चीजें जैसे टिकट, छुट्टी फॉर्म, रिजर्वेशन फॉर्म, पास फॉर्म, डेली यूज के फार्म, प्रशासनिक कागज, नियमावली, प्रशिक्षण केंद्र्रों लिए पाठ्यक्रम, रेलवे अस्पतालों के फॉर्म व अन्य पर्चियां भी आसानी से मिल पाएंगी. इससे रेलवे के यात्रियों और रेलवेकर्मियों को काफी फायदा होगा.
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