भोपाल। प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण (Reservation) देने को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) आज अंतिम सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) की ओर से सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ वकील श्रीमती इंद्राजय सिंह और अभिषेक मनु सिंघली (Senior Advocates Smt. Indrajay Singh and Abhishek Manu Singhli) को पैरवी के लिए खड़ा किया है। ये ओबीसी वर्ग (OBC Category) के समर्थन में कोर्ट दलीलें पेश करेंगे। वहीं राज्य सरकार की ओर से आज वे वकील पैरवी कर रहे हैं जो अभी तक हाईकोर्ट (High Court) में ओबीसी संगठनों की ओर से पैरवी करते आए हैं।
जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के मुख्य न्यायाधीश मो रफीक एवं विजय कुमार शुक्ला की बैंच में आज ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर सुनवाई हो रही है। राज्य शासन ने वरिष्ठ वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह (Senior Advocates Rameshwar Singh Thakur and Vinayak Prasad Shah) को भी पैरवी के लिए नियु्रक्त किया है। हाईकोर्ट का फैसला ओन से पहले राज्य सरकार ने इसी महीने के शुरूआत में ओबीसी वर्ग (OBC Category) को 27 प्रतिशत आरक्षण के आदेश जारी कर दिए थे। इसके बाद 14 सितंबर केा सरकार ने ओबीसी संगठनों की ओर से पैरवी करने वाले दो वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह को 1 लाख 50 हजार रुपए प्रति पैरवी की दर शासन का पक्ष रखने के लिए विशेष अधिवक्ता नियुक्त किया है। इसके अलावा आज शासन की ओर से सॉलीसिटर जनरल आफ इंडिया तुषार मेहता तथा ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अदिवक्ता उदय कुमार, प्रशांत कुमार, विष्णु पटेल, रामभजन लोधी पैरवी के लिए कोर्ट में खड़े हुए हैं। जबलपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मो रफीक एवं विजय कुमार शुक्ला की बैंच में आज ओबीसी आरक्षण से जुड़े सभी प्रकरणों पर एक साथ सुनवाई हो रही है।
आज कोर्ट में सीरियल क्रमांक 26 से 26.4 तथा सीरियल क्रमांक 33 एवम 37 से 37.32 पर लिस्टेड है। ओबीसी आरक्षण स ेजुड़े इन प्रकरणों में मप्र शासन पक्ष की ओर से सॉलीसिटर जनरल आफ इंडिया तुषार मेहता और महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव भी पैरवी के लिए खड़े हुए हैं। ओबीसी आरक्षण से जुड़े प्रकरणों में शासन ने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह को राज्य शासन ने विशेष अधिवक्ता नियुक्त किया गया है।
नौकरियों में हिस्सेदारी का डाटा नहीं जुटा पाई सरकार
हाईकोर्ट में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट में पिछले दो साल से मामला चल रहा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य शासन से सरकारी नौकरियों में किसी वर्ग का कितना प्रतिनिधित्व है। इसका डाटा प्राप्त करने के लिए 25 अगस्त को मप्र महाधिवक्ता के माध्यम से राज्य शासन को पत्र लिखा गया था। अभी तक शासन की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी प्रेषित नहीं की है।
आरक्षण पर मिल सकता है स्टे
राज्य शासन ने ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ही 27 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश जारी कर दिए थे। इससे पहले राज्य शासन की ओर से ओबीसी वर्ग के सभी संगठनों की बैठक बुलाई। ओबीसी वर्ग के सरकार के मंत्री, विधायक, सांसद एवं अन्य ओबीसी नेताओं के साथ बैठकें की गई। इसके बाद महाधिवक्ता की ओर से इसी महीने के शुरूआत में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर सरकार को सुझाव दिया। इसके आधार पर मप्र सरकार ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के आदेश जारी कर दिए। इसके विरोध में हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगाई जा चुकी हैं। जानकारों का कहना है कि ओबीसी आरक्षण पर फिर से स्टे मिल सकता है।
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