वॉशिंगटन: दुनिया के लिए खतरा बन चुका ड्रैगन भारत के खिलाफ आग उगलने की तैयारी कर रहा है और वक्त रहते चीन की खौफनाक चालों को लेकर भारत को पूरी तरह से सतर्क हो जाना चाहिए। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन टाइम्स ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा है कि चीन एक तीसरे मिसाइल क्षेत्र का निर्माण कर रहा है, जिसमें 100 से ज्यादा नई DF-41 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को तैनात किया जाएगा।
अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर खुलासा किया है कि पिछले कई हफ्तों से चीन लगातार अपने परमाणु मिसाइलों को रखने के लिए एक अड्डे का निर्माण कर रहा है। सामरिक विकास पर खुफिया रिपोर्टों के बारे में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के अधिकारियों को जानकारी है। और उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा सैटेलाइट तस्वीरें ली जा रही हैं,
जिससे पता चलता है कि डीएफ -41 के लिए एक साइलो सरणी का निर्माण किया गया है और सबसे खास बात ये है कि ये चीन का ये तीसरा परमाणु अड्डा भी उतना ही बड़ा है, जितने बड़े पहले के दोनों परमाणु अड्डे हैं। वहीं, यूएस स्ट्रैटेजिक कमांड के कमांडर एडमिरल चार्ल्स रिचर्ड ने गुरुवार को कहा कि पहले दो मिसाइल फील्ड बनाए गये और अब तीसरे का निर्माण हो रहा है, और ये चीन के परमाणु बलों के “विस्फोटक” विस्तार का हिस्सा हैं।
एडमिरल रिचर्ड ने अलबामा में एक मिसाइल रक्षा सम्मेलन में कहा कि, “हम चीन की रणनीतिक विस्तार को देख रहे हैं।” एडमिरल रिचर्ड ने चीन के परमाणु क्षमता में लगातार विस्तार को असाधारण करार दिया है और कहा कि ये पूरी दुनिया के लिए आने वाले वक्त में खतरनाक साबित होने वाला है।
एडमिरल रिचर्ड ने कहा कि, हाल ही में प्रकाशित रिपोर्टों में जिन दो नए मिसाइल क्षेत्रों का खुलासा किया गया है, उनमें 100 से ज्यादा परमाणु आधारित अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए साइलो शामिल हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि तीसरा मिसाइल बेस निर्माणाधीन हैं। इसके साथ ही उन्होंने आशंका जताई कि ये भी संभव है कि चीन सतह से सतह पर मार करने में सक्षम शक्तिशाली मिसाइलों का निर्माण कर रहा हो।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन लगातार अपनी शक्ति में इजाफा करने की कोशिश कर रहा है और वो अपने परमाणु जखीरे को लगातार बढ़ा रहा है। ड्रैगन बड़ी तादाद में परमाणु मिसाइलों को अपनी पनडुब्बियों पर तैनात कर रखा है और इसका मकसद दूसरे देशों पर दवाब बनाना है। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल यानि इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता ज्यादा होती हैं और वे एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में उड़ान भरने और हमला करने में सक्षम हैं। इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें अपने प्रक्षेपण स्थलों से उड़ान भर सकती हैं और अंतरिक्ष में यात्रा करते हुए लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद सकती हैं।
चीन की इन तैयारियों से आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में अपनी मिसाइलों को अपनी मारक क्षमता बढ़ाकर चीन अपने दुश्मनों पर और ज्यादा हावी होने की कोशिश करेगा और जाहिर तौर पर चीन की इस हरकत से भारत पर दवाब बढ़ेगा। चीन के पास कई ऐसी घातक मिसाइलें हैं, जिनका अमेरिका के ठिकानों को भी भेदने की क्षमता हासिल है। एक शीर्ष अमेरिकी जनरल ने माना है कि अमेरिका के पास अभी भी हवा में चीनी मिसाइलों को मार गिराने के लिए पर्याप्त हवाई सुरक्षा नहीं है।
माना जा रहा है कि अगर 100 से ज्यादा मिसाइल साइलो का निर्माण पूरा हो जाता है तो इससे चीन की परमाणु क्षमता काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। माना जा रहा है कि चीन के पास 250 से 350 तक के परमाणु हथियारों का भंडार है। ऐसे में चीन इन साइलो को रखने के लिए और मिसाइलों का निर्माण जरूर करेगा। चीन पहले ही डिकॉय साइलो तैनात कर चुका है। आपको बता दें कि शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका ने रूसी जासूसों से अपनी मिसाइलों को छिपाने के लिए साइलो का निर्माण शुरू किया था। इस वजह से रूसी सैन्य रणनीतिकार यह नहीं जान सके कि अमेरिकी मिसाइल के ठिकानों पर कितनी परमाणु मिसाइलें तैनात हैं। इसलिए रूस ने हमला करने का जोखिम नहीं उठाया था।
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