इंदौर। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने गृह क्षेत्र के एक भी नेता को उपचुनाव के प्रचार के लायक नहीं समझा। इसको लेकर इंदौर के नेता मन मसोस कर रह गए। कई तो दबी जुबान में कह रहे हैं कि पटवारी हर जगह अपनी ही वाहवाही करते फिर रहे हैं, जिसके कारण कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ता है।
हाल ही हाल ही में घोषित कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी से जो असंतोष पनपा है वह अभी शांत नहीं हुआ है। चूंकि अभी दो विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं, इसलिए भी अभी प्रदेश लेवल पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन पटवारी द्वारा इन चुनावों में इंदौर या मालवा के किसी भी नेता को जवाबदारी न देकर उन्हें उपचुनाव से दूर रखना, कई सवाल खड़े कर रहा है। इंदौर जैसे शहर में एक भी नेता को प्रचार के लायक नहीं समझा है, जबकि यहां कांग्रेस के कई ऐसे नेता है जो जातिगत समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं। पिछले चुनाव में लड़े नेताओं की भी कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है।
केवल सज्जन सिंह वर्मा ऐसे नेता है जो गाहे बगाहे बुधनी सीट पर पहुंच जाते हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि पटवारी ने उन्हें भी अधिकृत तौर पर कोई जवाबदारी नहीं दी है। चिंटू चौकसे की समाज के लोग भी वहां बड़ी संख्या में है, लेकिन उनका उपयोग भी नहीं किया गया। वहीं पिंटू जोशी, अमन बजाज, रीना बोरासी जैसे युवा नेताओं को भी प्रचार करने के लिए नहीं बुलाया गया है। अरविंद बागड़ी, विनय बाकलीवाल भी इंदौर में ही पड़े हैं। कुल मिलाकर उपचुनाव में इंदौर के किसी भी नेता को प्रचार के लायक नहीं समझा गया और उन्हें दरकिनार ही कर रखा है।
कई छोटे नेता अपने समर्थकों के लिए पहुंचे
इंदौर के बड़े नेताओं को प्रचार में तवज्जो नहीं मिलना, एक बार फिर असंतोष का कारण बन सकता है। बुधनी क्षेत्र नजदीक होने के कारण कई नेताओं को वहां भेजा जा सकता था। हालांकि शहर में कई नेता ऐसे हैं जो खुद ही प्रचार में पहुंच गए हैं। सत्यनारायण पटेल तो पहले से ही प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार में वायनाड में लगे हैं। केवल वे ही एक ऐसे नेता हैं, जिन्हें प्रियंका ने जवाबदारी सौंपी है। इसके अलावा सुरजीत चड्ढा और सदाशिव यादव जैसे जिलाध्यक्षों को भी पार्टी ने प्रचार के लिए नहीं बुलाया।
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