नई दिल्ली (New Delhi) । हैदराबाद पुलिस (Hyderabad Police) ने जनवरी 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय (University of Hyderabad) के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला (Rohit Vemula) की मौत की जांच बंद कर दी है। पुलिस ने दावा किया है कि रोहित दलित नहीं थे और संभवतः उनकी ‘असली जाति’ उजागर न हो, इस डर के कारण उन्होंने आत्महत्या की। पुलिस ने तेलंगाना हाईकोर्ट में यह दावा किया है । बता दें कि जनवरी 2016 में रोहित वेमुला की आत्महत्या से मौत के कारण विश्वविद्यालयों में दलितों के खिलाफ भेदभाव को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था.
हैदराबाद पुलिस ने पेश मामले में शुक्रवार को तेलंगाना हाईकोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें बताया गया कि रोहित दलित नहीं था और उसकी मृत्यु इसलिए हुई क्योंकि उसे डर था कि उसकी असली जाति की पहचान सबको पता चल जाएगी. क्लोजर रिपोर्ट में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई है. बता दें कि आरोपियों में सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन. रामचंदर राव और हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव के अलावा केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और अखिल भारतीय विद्यार्थी के नेताओं को दोषमुक्त कर दिया गया है.
रोहित की मृत्यु के समय स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थीं. पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट में यह कहा है कि सबूतों की कमी के कारण मामला बंद कर दिया गया है. हाई कोर्ट ने अब वेमुला परिवार को विरोध याचिका के तौर पर निचली अदालत में अपील करने का निर्देश दिया है. रोहित के भाई राजा वेमुला ने कहा कि परिवार 4 मई को मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मिलने के लिए हैदराबाद जाएगा.
बताया गया कि पुलिस ने 2017 के बाद मामले की जांच बंद कर दी थी. वेमुला परिवार के जाति सत्यापन मामले पर 15 गवाहों के बयानों की एक सीरीज जिला कलेक्टर को दी गई थी. कहा गया कि कानून के मुताबिक जिला कलेक्टर जाति की स्थिति पर आदेश पारित कर सकता है, पुलिस नहीं. हाईकोर्ट में रोहित वेमुला के परिवार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि कलेक्टर ने मामले का फैसला अभी तक पूरा नहीं किया है.
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