नई दिल्ली (New Dehli)। इंडिया गठबंधन (india alliance)के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीट शेयरिंग(seat sharing) है। 31 दिसंबर की तारीख भी बीत चुकी है। अपनी पिछली बैठक में सीट शेयरिंग के लिए इस तारीख को डेडलाइन (deadline)बताया था। हालांकि, अभी तक इस मुद्दे पर अंतिम फैसला नहीं हो सका है। इससे पहले प्रमुख दलों की दावेदारी सामने आने लगी है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी जहां कांग्रेस को दो से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं दिख रही हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी हिंदी भाषी राज्यों में अपना दबदबा कायम रखना चाहती है।
तृणमूल कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में INDIA गठबंधन की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के लिए सिर्फ दो सीटों की पेशकश की है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। सूत्रों ने यह भी कहा है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी की राय है कि बंगाल में सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला लेने की अनुमति टीएमसी को मिलनी चाहिए। सीट-बंटवारे की संख्या एक स्पष्ट फॉर्मूले पर आधारित है, जिसमें संसदीय चुनावों और राज्य विधानसभा चुनावों का तालमेल बिठाया गया है।
इसके अलावा, तृणमूल कांग्रेस ने भी इंडिया गठबंधन संयोजक के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अपनी पसंद को दोहराया है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी के पास नीतीश कुमार के खिलाफ कहने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन पार्टी मानना है कि विपक्षी गठबंधन के संयोजक के रूप में खड़गे का बेहतर प्रभाव होगा। सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि दलित समुदाय से आने वाले खड़गे बेहतर विकल्प हैं क्योंकि वह 58 सीटों पर प्रभाव डाल सकते हैं।
पिछले महीने नई दिल्ली में आयोजित विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे की बातचीत को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 2023 तक सीट-बंटवारे के विवरण को अंतिम रूप देने की मांग की थी। समय सीमा बीत चुकी है। गठबंधन अभी भी सीट-बंटवारे पर आम सहमति पर नहीं पहुंच पाया है।
उदार नहीं है कांग्रेस का रवैया
सीट शेयरिंग पर सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी कांग्रेस को दी गई है। कांग्रेस ने राज्यों के नेताओं के साथ चर्चा के बाद सीटों की एक संभावित लिस्ट तैयार कर ली है। कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे इसलिए बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में उसकी भूमिका अग्रणी होगी। राहुल गांधी ने गठबंधन के नेताओं को आश्वासन दिया था कि सीट शेयरिंग पर पार्टी एक उदार रवैया अपनाएगी। लेकिन कांग्रेस ने जो लिस्ट तैयारी की है उसके मुताबिक, हिंदी भाषी राज्यों में समझौते के मूड में नहीं दिख रही है।
कांग्रेस ने यूपी में 40 सीटों पर दिया जोर
इंडिया टुडे ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूपी कांग्रेस उन 40 सीटों की सूची तैयार कर रही है जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है।यह सूची पार्टी की बड़ी बैठक में सौंपी जाएगी। कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में भी कांग्रेस की पकड़ अच्छी है और अगर गठबंधन में रहते हुए सपा बसपा को बड़ा हिस्सा दे सकती है तो कांग्रेस को क्यों नहीं? जिन सीटों पर कांग्रेस की नजर है उनमें से कई सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की भारी मौजूदगी है। ये सीटें सपा की पसंदीदा हैं।
यूपी में इन प्रमुख सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी
अमरोहा
सहारनपुर
लखीमपुर खीरी
बिजनौर
मुरादाबाद
लखनऊ
रायबरेली
अमेठी
बाराबंकी
बिहार में इन सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी
कटिहार
किशनगंज
पूर्णिया/कटिहार (कोई एक)
औरंगाबाद
भागलपुर
बक्सर
सासाराम
मोतिहारी/वाल्मीकिनगर (कोई एक)
नवादा
पटना
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