भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) में कांग्रेस (Congress) को मिली करारी हार का असर अब तक दिख रहा है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल अंचल (Gwalior-Chambal zone) में एक बार फिर बड़ा झटका लगा है, पार्टी के पूर्व विधायक और पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) ने उन्हें बीजेपी में शामिल करवाया है, जिसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव में दिख सकता है.
दरअसल, मुरैना से कांग्रेस के पूर्व विधायक और पूर्व जिला अध्यक्ष राकेश मावई ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में राकेश मावई का टिकट कांग्रेस ने काट दिया था, जिसके बाद से ही वह नाराज बताए जा रहे हैं. शुक्रवार को मावई ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की और बीजेपी का दामन थाम लिया. उनके साथ शिवपुरी जिले के पूर्व जनपद अध्यक्ष परम सिंह रावत ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशील माने जाते हैं, ऐसे में इनके कांग्रेस छोड़ने का असर लोकसभा चुनाव में दिख सकता है.
बता दें कि राकेश मावई 2020 में हुए मुरैना उपचुनाव में बीजेपी के रघुराज सिंह कंसाना को हराकर चुनाव जीते थे. लेकिन 2023 के मुख्य चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था, जिसके बाद से ही वह नाराज बताए जा रहे थे. मावई को सिंधिया का करीबी भी माना जाता था, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी बदल ली है. हालांकि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मुरैना सीट बचाने में कामयाब रही थी. लेकिन अब लोकसभा चुनाव में समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं.
बता दें कि विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की 6 विधानसभा सीटों में से तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है, जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. ऐसे में मुरैना सीट पर फिलहाल लोकसभा चुनाव की लड़ाई दिलचस्प मानी जा रही है, मुरैना के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा अध्यक्ष बन चुके हैं, ऐसे में बीजेपी इस बार यहां किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है. जिसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी अहम भूमिका हो सकती है. ऐसे में राकेश मावई का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने का फैसला भाजपा के लिए कितना फायदेमंद होगा यह तो चुनावों में पता चलेगा.
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