सोनीपत। दिल्ली (Delhi) का रास्ता खुलवाने (open the way) के लिए हरियाणा सरकार (Haryana Government) की राज्यस्तरीय समिति (state level committee) की ओर से रविवार को मुरथल में बुलाई बैठक में जाने से किसानों ने इनकार कर दिया है। यह फैसला कुंडली बॉर्डर (kundli border) पर शनिवार को 32 किसान जत्थेबंदियों ने लिया। बैठक में डॉ. दर्शनपाल (Dr. Darshanpal) और बलबीर राजेवाल (Balbir Rajewal) समेत अनेक बड़े नेता मौजूद रहे।
बलबीर राजेवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में किसान पार्टी नहीं हैं। जवाब सरकार से मांगा गया है तो सरकार ही जवाब दें। सरकार अपनी चाल में फंसाना चाहती है लेकिन किसान हर षड्यंत्र को समझते हैं। सरकार ने रास्ता बंद किया है तो वही खोले।
किसान नेताओं ने कहा कि कोरोना काल के समय जब ऑक्सीजन सिलिंडर लाने-ले जाने में लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा था तो सरकार को कहा था कि दिल्ली की तरफ बनाई दीवार को मार्ग से हटाए लेकिन सरकार नहीं मानी। अब सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है तो सरकार किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना चाहती है। किसान नेता मंजीत राय ने बताया कि तीन कृषि कानूनों की वापसी समेत अन्य मांगें पूरी होने के बाद ही कुंडली बॉर्डर से हटेंगे।
तय कार्यक्रम के अनुसार होगी बैठक: डीसी
डीसी ललित सिवाच ने कहा कि सरकार की कोर कमेटी की बैठक तय शेड्यूल के अनुसार होगी। वह किसानों से भी अपील करते हैं कि जनहित के मुद्दे पर सरकार का सहयोग करें और बैठक में शामिल हों। चूंकि सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना है तो समिति की बैठक जरूर होगी। उम्मीद है कि किसान प्रतिनिधि इस बैठक में पहुंचेंगे।
किसान आंदोलन को एक साल पूरा
किसान आंदोलन को एक साल पूरे हो गए। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमाओं पर डटे किसानों ने सभा आयोजित की। शनिवार को टीकरी बार्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की सभा में वक्ताओं ने किसान आंदोलन के लगातार चलने को एकता का परिणाम बताया और एकता बनाए रखने पर बल दिया। भाकियू डकोंदा के हरनेक सिंह मेहमा ने कहा कि 56 दिन हम पंजाब में रेलवे लाइनों पर बैठे रहे और 10 महीने दिल्ली के बॉर्डरों पर आंदोलन करते हो गए हैं।
ये हमारी एकता का परिणाम है। हमें इस आंदोलन में एकता बढ़ानी है हमने सबको एक साथ लेकर चलना है। वहीं रेवाड़ी में खेड़ा बॉर्डर पर बैठे किसानों ने गांव मूंदी में पंचायत में निर्णय लिया कि पिछले सप्ताह गंगायचा टोल के मैनेजर को ज्ञापन सौंपकर टोल फ्री करने की मांग रखी थी और 27 सितंबर तक का समय दिया था। कोई जवाब न आने पर किसान खुद ही टोल फ्री कर देंगे। जींद के खटकड़ व बद्दोवाल टोल प्लाजा पर किसानों का धरना चल रहा है।
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