फगवाड़ा। कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री जोगिंदर सिंह मान (Joginder Singh Mann) ने शुक्रवार को पार्टी से 50 साल पुराना नाता तोड़ते हुए इस्तीफा दे दिया। अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के नेता मान करोड़ों रुपये के कथित पोस्ट-मैट्रिक एससी छात्रवृत्ति घोटाले (Post-Matric SC Scholarship Scam) के अपराधियों के खिलाफ ‘कोई कार्रवाई नहीं’ किये जाने और फगवाड़ा को जिला का दर्जा नहीं देने से नाराज थे। उन्होंने पार्टी और पंजाब कृषि उद्योग निगम के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया। सूत्रों ने बताया कि मान के आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल होने की संभावना है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) को लिखे पत्र में, फगवाड़ा के पूर्व विधायक ने कहा कि उनका एक सपना था कि वह एक कांग्रेसी के रूप में मरेंगे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के दोषियों को कांग्रेस का संरक्षण है, और ऐसे में मेरी अंतरात्मा मुझे यहां (पार्टी में) रहने की अनुमति नहीं देती है.’ मान बेअंत सिंह, राजिंदर कौर भट्टल और अमरिंदर सिंह नीत सरकारों में मंत्री रह चुके हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू जैसे राजे महाराजे, धनाढ्य और अवसरवादी नेता जब से कांग्रेस में आये,उन्होंने अपने निहित स्वार्थों के लिये पार्टी का इस्तेमाल किया और पार्टी के सिद्धांत और मूल्य हाशिये पर चले गये। बस सबका एक ही मूल मंत्र रह गया कि किस तरह चुनाव जीतकर सत्ता को हथियाया जाये।’
एससी छात्रवृत्ति घोटाला 2020 में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के बाद सामने आया था, जिसमें 55.71 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का पता चला था. रिपोर्ट में तत्कालीन सामाजिक न्याय मंत्री साधु सिंह धर्मसोत की कथित रूप से घोटाले में शामिल लोगों को बचाने में भूमिका पर भी सवाल उठाया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव को पूरी जांच करने का निर्देश दिया था. आईएएस अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति के निष्कर्षों के आधार पर मुख्य सचिव की रिपोर्ट में धर्मसोत को दोषी नहीं बताया गया था।
मान ने कहा कि वह पहले दिन से तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के सामने फगवाड़ा को जिला का दर्जा देने के मुद्दे को उठा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन इस पर कोई ध्यान देने के बजाय उन्होंने फगवाड़ा के निवासियों की लंबे समय से लंबित इस मांग को नजरअंदाज कर उनकी भावनाओं और आकांक्षाओं को ठेस पहुंचाई है।
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