सीहोर: मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री करण सिंह वर्मा (Karan Singh Verma) के गृह जिले सीहोर (Sehore) में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के पहले ही बीजेपी (BJP) ने कांग्रेस (Congress) में सेंध लगा दी है. कांग्रेस समर्थित चार जिला पंचायत सदस्यों ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. इन सदस्यों में भोपाल जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष और दिग्विजय सिंह के सांसद प्रतिनिधि, जिला पंचायत सदस्य राजू राजपूत भी शामिल हैं. बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद राजू राजपूत ने मीडिया से कहा कि कांग्रेस में घोड़ों को बांधकर गधों को दौड़ाया जाता है.
बता दें हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष गोपाल सिंह इंजीनियर को आष्टा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था. गोपाल सिंह इंजीनियर ने इस चुनाव में जीत हासिल की और विधानसभा सदस्य की शपथ लेते ही जिला पंचायत अध्यक्ष का पद खाली हो गया. ऐसे में आज 30 दिसंबर को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना था, जबकि इससे एक दिन पहले ही बीजेपी ने कांग्रेस में सेंध लगाते हुए कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत के चार सदस्यों को बीजेपी की सदस्यता दिला दी है. फिलहाल जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव टल गया है.
जिला पंचायत सदस्य चुनाव के दौरान सीहोर विधानसभा अंतर्गत तीनों ही वार्डों में बीजेपी समर्थित प्रत्याशी चुनाव हार गए थे, जबकि कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने जीत दर्ज की थी. सदस्यों की संख्या कम होने से बीजेपी के गोपाल सिंह इंजीनियर जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे, लेकिन अब उनके विधायक बनने के बाद से जिला पंचायत सदस्य की सीट खाली थी. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पास ही बराबर सदस्य नजर आ रहे थे, लेकिन इधर बीजेपी ने कांग्रेस समर्थित सदस्यों को बीजेपी में शामिल करा लिया.
जिला पंचायत सदस्य राजू राजपूत, रुखसार अनस खां सहित दो अन्य सदस्यों ने कैबिनेट मंत्री करण सिंह वर्मा, सांसद रमाकांत भार्गव, जिला अध्यक्ष रवि मालवीय, विधायक सुदेश राय की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थामा है. खास बात है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए कांग्रेस राजू राजपूत को ही दावेदार बता रही थी. जिला पंचायत में कांग्रेस को दूसरी बार धोखा मिला है. इससे पहले आष्टा विधायक गोपाल सिंह भी जिला पंचायत सदस्य रहते हुए कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए थे. पार्टी बदलते ही वह जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए और फिर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंच गए.
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