नई दिल्ली। दिल्ली में लोकसभा (Lok Sabha in Delhi) की चुनावी सियासत दिलचस्प हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अब बिखरती नजर आ रही है। दिल्ली यूनिट के दिग्गज नेताओं ने बगावती तेवर अख्तियार कर रखा है। इसकी बानगी शनिवार देखने को भी मिली। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली (Former State Congress President Arvind Singh Lovely) के साथ चार दिग्गज नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। प्रदेश कांग्रेस नेता अपने राष्ट्रीय नेतृत्व से ही नाराज है। उन्हें बिना तवज्जो दिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन (Alliance with Aam Aadmi Party) और उम्मीदवार को उतारना रास नहीं आया।
कन्हैया कुमार के रूप में बाहरी नेता को और डॉ. उदित राज को आरक्षित सीट से चुनाव में उतारना दिल्ली के पुराने दिग्गज नेताओं को पसंद नहीं आया। राजनीतिक जानकार यह भी तर्क दे रहे है कि अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान जैसे पुराने कांग्रेसी नेता को दूसरी बार भाजपा में शामिल होना पार्टी के अंदर बिखराव का बड़ा संदेश है। चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बाद यही सेकेंड लाइन के कांग्रेसी नेता है।
उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से कांग्रेस आलाकमान ने जब से कन्हैया कुमार को उतारा तभी से विरोध के तेवर कांग्रेस नेताओं में उठने लगे थे। इसी तरह उत्तर-पश्चिमी दिल्ली सीट से डॉ. उदित राज भी प्रदेश नेतृत्व को पसंद नहीं थे। पार्टी कार्यालय में विरोध-प्रदर्शन तक हुआ, पार्टी के भीतर ही एक नया गुट उभरा, यहां तक की इस्तीफा भी दे दिया। अपनी राय भी जाहिर की कि बिना किसी सलाह मसवरा लिए केंद्रीय नेतृत्व अपना तुगलकी फरमान जारी करते हुए उम्मीदवार थोप दिया।
दरअसल, उत्तर-पूर्वी सीट पर लवली की नजर थी और उत्तर पश्चिम सीट पर राजकुमार चौहान की। उन्हें आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की राजनीति से यह भी डर सता रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनका राजनीतिक अस्तित्व ही ना खत्म हो जाए। दूसरी तरफ कन्हैया कुमार ही दिल्ली की राजनीति पर हावी ना हो जाए इसकी भी संभावना बागी नेताओं को डरा रहा है। पार्टी में शामिल होने के दौरान लवली ने भी स्पष्ट किया कि उनके जैसे कई कांग्रेसी नेता अपने शीर्ष नेतृत्व से गठबंधन को लेकर नाराज है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि कई और नेता भाजपा में शामिल होने की तैयारी में है। जल्द ही वे शामिल भी हो सकते है।
दिल्ली कांग्रेस में विरोध का सुर चुनाव में सक्रिय नहीं होने पर दिख भी रहा है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के प्रत्याशी कन्हैया कुमार अभी तक अपने क्षेत्र में ठीक से सक्रिय तक नहीं हो पाए है। पुराने कांग्रेसी नेताओं का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ रहा है। दूसरी तरफ चांदनी चौक के प्रत्याशी जेपी अग्रवाल जब नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो उनके क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ अन्य पुराने कांग्रेसी नेताओं की भी कमी स्पष्ट रूप से देखने को मिली। इसी तरह पुराने कांग्रेसी नेता महाबल मिश्रा के चुनाव से भी पुराने कांग्रेसी नेता दूरी बनाए हुए है।
गठबंधन के तहत चुनावी मैदान में उतरने वाले कांग्रेस प्रत्याशियों को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी पूरा समर्थन नहीं मिल पा रहा है। उनकी चुनावी रणनीति ठीक से ना तो तैयार हो पा रही है और ना ही बूथ लेवल पर कार्यकर्ता सक्रिय हो पा रहे है। अंतरिम दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने अरविंद सिंह लवली पर कहा कि कांग्रेस ने उन्हें बच्चे की तरह पाला, तीन बार विधायक, मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बनाया। 2017 में चुनाव के दौरान धोखा दिया था, अब फिर से उन्होंने धोखा दिया। ऐसे लोगो के जाने से इस विशाल पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
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