बीजिंग। चीन (China) किसी भी देश से दोस्ती करता है, तो उसे बर्बाद किए बिना नहीं छोड़ता। इसके दर्जनों उदाहरण हैं, जिनमें पाकिस्तान (Pakistan), श्रीलंका (Sri Lanka) से लेकर लाओस और म्यांमार (Laos and Myanmar) तक शामिल हैं। म्यांमार (Myanmar) में तो चीन ने गजब ही किया। भारत (India) के खिलाफ रणनीति में म्यांमार का ऐसा इस्तेमाल किया कि यह देश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया। चीन ने पहले नागरिक सरकार को अस्थिर करने के लिए म्यांमार की सेना की मदद की। जब म्यांमार की सेना ने तख्तापलट कर दिया, तो वह अब वहां की अपदस्थ नागरिक सरकार के पीछे पड़ा हुआ है। हालांकि, इस चक्कर में म्यांमार में चीन का लाखों डॉलर फंस (Millions of dollars stuck) गया है। ऐसी भी खबरें हैं कि चीन ने म्यांमार की सेना को हालात जल्द से जल्द सामान्य करने के लिए धमकी भी दी है।
भारत को घेरने के लिए चीन ने चली थी चाल
चीन चाहता था कि म्यांमार का इस्तेमाल भारत को घेरने के अलावा व्यापार के लिए भी किया जाए। इसके लिए चीन ने युन्नान प्रांत के रुइली काउंटी से म्यांमार के शान राज्य की सीमा तक एश शानदार सड़क भी बनवाई। लेकिन, जब यह सड़क इस्तेमाल के लायक हुई, तब कोविड महामारी आ गई। चीन ने अपनी सीमा पर सख्त लॉकडाउन लगा दिया, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक दिनों तक चला। इसके बाद जब हालात सुधरे तो म्यांमार में गृहयुद्ध शुरू हो गया। चीन समर्थक म्यांमार की सेना को विद्रोहियों ने कई गहरे जख्म दिए। यहां तक कि चीन से लगी 2000 किमी लंबी सीमा पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया और सभी सीमा चौकियों से म्यांमार की सरकारी सेना को खदेड़ दिया।
चीन ने म्यांमार में लाखों डॉलर निवेश किए
चीन ने म्यांमार में एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारे के लिए लाखों डॉलर का निवेश किया है। इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य म्यांमार के माध्यम से चीन के दक्षिण-पश्चिम को हिंद महासागर से जोड़ना है। लेकिन यह गलियारा म्यांमार के विद्रोहियों और देश की सेना के बीच युद्ध का मैदान बन गया है। चीन का म्यांमार में दोनों पक्षों पर प्रभाव है, लेकिन जनवरी में उसने जो संघर्ष विराम करवाया था, वह विफल हो गया। ऐसे में चीन ने दोनों पक्षों को धमकाने के लिए सीमा पर सैनिकों को बटोरकर बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू किया है।
चीनी विदेश मंत्री की धमकी का भी असर नहीं
कुछ महीने पहले ही चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने म्यांमार की राजधानी नेपीतॉ का दौरा किया था। वह दुनिया के किसी भी देश के पहले शीर्ष राजनयिक थे, जिन्होंने गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद म्यांमार का दौरा किया। माना जाता है कि अपने दौरे में उन्होंने म्यांमार की सैन्य शासन के मुखिया मिन आंग ह्लाइंग को चेतावनी भी दी। इसके बावजूद न तो म्यांमार की सेना हार मानने को तैयार है और ना ही विद्रोही। विद्रोहियों ने तो अपना गठबंधन भी बना लिया है, जो एकजुट होकर म्यांमार की सेना पर हमले कर रहे हैं।
चीन ने म्यांमार पर बढ़ाया सैन्य दबाव
चीन से सटे म्यांमार के शान राज्य के लिए संघर्ष कोई नई बात नहीं है। म्यांमार का सबसे बड़ा राज्य दुनिया की अफीम और मेथामफेटामाइन का एक प्रमुख स्रोत है। यह राज्य लंबे समय से सरकार का विरोध करने वाली जातीय सेनाओं का घर है। लेकिन, चीनी निवेश द्वारा बनाए गए जीवंत आर्थिक क्षेत्र गृहयुद्ध तक फलते-फूलते रहे। अब चीनी सेना लाउडस्पीकर से म्यांमार के लोगों को सीमा पर लगी बाड़ से दूर रहने की चेतावनी देती है। हालांकि, चीनी पर्यटकों को इससे छूट हासिल है। वह गेट की सलाखों के बीच हाथ डालकर सेल्फी तक ले सकते हैं। उन्हें रोकने की चीनी सेना कोई जहमत नहीं उठाती।
म्यांमार में दोहरी चाल चल रहा चीन
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) ने अपने संसाधन संपन्न पड़ोसी देश म्यांमार के साथ संबंध बनाने में वर्षों का समय लगाया। हालांकि, जब देश की निर्वाचित नेता आंग सान सू की को सत्ता से बाहर कर दिया गया था, तब शी जिनपिंग ने तख्तापलट की निंदा करने से इनकार कर दिया। इस दौरान चीन ने म्यांमार की सत्ता पर काबिज सेना को हथियार बेचना भी जारी रखा। चीन ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर म्यांमार की सैन्य सरकार का बचाव किया। लेकिन, उन्होंने म्यांमार के सैन्य शासक मिन आंग ह्लाइंग को राष्ट्राध्यक्ष के रूप में मान्यता नहीं दी, न ही उन्होंने उन्हें चीन आमंत्रित किया। तीन साल से जारी युद्ध में म्यांमार में हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए, लेकिन कोई अंत नहीं दिख रहा है।
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