लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को एक और झटका लगा है. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब सपा के बड़े नेता सलीम शेरवानी ने सपा महासचिव पद से इस्तीफा दिया है. वहीं सपा के राष्ट्रीय सचिव आबिद रजा ने भी अपना इस्तीफा भेज दिया है. माना जा रहा है कि सलीम शेरवानी राज्यसभा न भेजे जाने से नाराज हैं. वहीं उन्होंने अखिलेश यादव को भेजे पत्र में कहा है कि हमें नहीं भेजा कोई बात नहीं, आपने PDA को महत्व नहीं दिया.
पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को लिखे लेटर में लिखा- प्रिय अखिलेश जी, मैं पिछले कुछ समय से आपसे लगातारे मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करता रहा हूँ और मैंने हमेशा आपको यह बताने का प्रयास किया है कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे रहे हैं. पार्टी के साथ उनकी दूरी लगातार बढ़ रही है और वो एक सच्चे ‘रहनुमा’ की तलाश में हैं. मैंने आपको यह भी बताने का प्रयास किया कि पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए.
सलीम शेरवानी ने आगे लिखा- मुसलमानों में यह भावना बढ़ती जा रही है कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे में कोई भी उनके जायज मुद्दे को उठाने के लिए तैयार नहीं है. मैंने पार्टी की परंपरा के अनुसार आपसे बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्य सभा सीट के लिए अनुरोध किया था (भले ही आप मेरे नाम पर विचार नहीं करते) लेकिन पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था. आपके द्वारा जिस तरह से राज्य सभा के टिकट का वितरण किया गया है उससे यह प्रदर्शित होता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं. जिस कारण यह प्रश्न उठता है कि आप बीजेपी से अलग कैसे हैं?
सलीम शेरवानी ने अखिलेश को भेजे लेटर में लिखा- एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है और कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है. ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है. धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है, भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है. पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है. इसलिए, मुझे लगता है कि में मैं सपा में अपनी वर्तमान स्थिति के साथ अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकता. इस परिस्थिति में मैं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में अपना इस्तीफा दे रहा हूं. मैं अगले कुछ हफ्तों के भीतर अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लूंगा.
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