नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफे के बाद बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि वे जम्मू कश्मीर लौटेंगे और अपनी पार्टी बनाएंगे. आजाद ने बीजेपी में शामिल होने की खबरों का भी खंडन कर दिया है. उन्होंने कहा, मेरे विरोधी पिछले 3 साल से कह रहे हैं कि मैं भाजपा में जा रहा हूं. यहां तक कि उन्होंने तो मुझे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति भी बनवा दिया.
गुलाम नबी आजाद ने आज तक से बातचीत में कहा कि वे नई पार्टी बनाएंगे. इसी के साथ उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति से जम्मू कश्मीर की राजनीति में लौटने के भी संकेत दिए. आजाद ने कहा, मैं जम्मू भी जाऊंगा, कश्मीर भी जाऊंगा. उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर में हम अपनी पार्टी बनाएंगे. इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी देखेंगे.
क्या बीजेपी में शामिल होंगे ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे विरोधी यह बात तीन साल से बता रहे हैं. उन्होंने मुझे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति भी बनवा दिया था. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें किसी बीजेपी नेता का फोन आया. इस पर आजाद ने कहा कि भाजपा के नेता मुझे क्यों फोन करेंगे, हम बीजेपी में थोड़ी हैं.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे सभी पार्टियों से अच्छे रिश्ते हैं. हमने किसी को कभी अपशब्द नहीं कहे. हम सभी दलों का सम्मान करते हैं. इसलिए सभी दलों का मेरे प्रति सम्मान का भाव है.
गांधी परिवार से मेरे अच्छे रिश्ते- गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी पर लगाए आरोपों के सवाल पर कहा कि निजी आधार पर मेरे गांधी परिवार से बहुत अच्छे संबंध हैं और मुझे मेरा बहुत प्यार का और सद्भाव का रिश्ता है. पर यह पर्सनल रिलेशन की बात नहीं है यह तो हम कांग्रेस के डाउनफॉल की बात कर रहे हैं और जिसने कांग्रेस में 50 साल बिताएं उसको क्या लगता है वह बता रहे हैं.
आजाद ने राहुल गांधी पर साधा था निशाना
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए इस्तीफे में राहुल गांधी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, राहुल अपने आस-पास अनुभवहीन लोगों को रखते हैं और वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन कर दिया. उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी और पर्सनल स्टाफ ही सारे फैसले ले रहे हैं. दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद जब उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था, उन्होंने कांग्रेस के कार्य करने के तौर-तरीकों को खत्म कर दिया. उन्होंने संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया. इसके साथ ही राहुल का प्रधानमंत्री द्वारा जारी किया गया अध्यादेश फाड़ना उनकी अपरिवक्ता दिखाता है. इससे 2014 में हार का सामना करना पड़ा.
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