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रूस पर बड़ा आरोप- मुस्लिम शरणार्थियों को जबरन सेना में कर रहा भर्ती

December 03, 2024

डेस्क: यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ जंग में रूस लगातार अपनी सैन्य क्षमता (Military Capabilities) बढ़ाने की कोशिश में जुटा है. रूस (Russia) पर पहले ही नॉर्थ कोरियाई (North Korean) सैनिकों और यमनी लड़ाकों को सेना में शामिल कराने का आरोप लग चुका है. वहीं ताजा मामला रूस में रह रहे मुस्लिम शरणार्थियों (Muslim Refugees) को जबरन युद्ध के मैदान में लड़ने के लिए भेजने का है.

अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, मॉस्को अपनी सेना को बढ़ाने के लिए मध्य एशिया से आए विदेशी कामगारों को निशाना बना रहा है. आरोप हैं कि रूस की दंगा पुलिस अस्थायी मस्जिदों से दर्जनों शरणार्थियों को उठाकर ले गई और उन्हें जबरन सेना में भर्ती कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार, मॉस्को के दक्षिण-पूर्वी उपनगर कोटेलनिकी में शरणार्थी मुसलमान जुमे की नमाज़ के लिए जुटे थे. इस दौरान भारी हथियारों से लैस दंगा पुलिस अधिकारियों ने कई दर्जन लोगों को हिरासत में ले लिया. कोटेलनिकी, मॉस्को की वो जगह है जहां किराया सस्ता होने के कारण ज्यादातर प्रवासी श्रमिक रहते हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सभी लोगों को पहचान पत्र जांच के लिए पुलिस बस में जबरन बैठाया गया और पास के शहर लिबर्ट्सी में एक सैन्य भर्ती कार्यालय ले जाया गया. यहां इन लोगों का मेडिकल चेकअप किया गया. इनमें जिन लोगों को सेना के लिए फिट पाया गया, उन्हें कथित तौर पर मॉस्को के पूर्व में एक सैन्य अड्डे पर भेजा गया और दो विकल्प दिए गए- जेल जाना या भर्ती होना.


आरोप हैं कि पुलिन ने जब इन लोगों को हिरासत में लिया तो वकीलों से मिलने से मना कर दिया गया. यही नहीं इन लोगों के पास कोर्ट में जबरन भर्ती के फैसले को खारिज करने या सैन्य सेवा पर अपनी आपत्ति जताने का कोई मौका नहीं था. अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार यह पूरा मामला अक्टूबर के महीने का बताया जा रहा है.

वहीं एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मुस्लिम शरणार्थियों को जबरन सेना में शामिल कर रूस एक तीर से दो निशाने लगाने जैसी कोशिश कर रहा है. एक ओर वह मुसलमानों की जबरन भर्ती कर रूस को ‘शरणार्थियों’ से छुटकारा दिला रहा है और वहीं दूसरी ओर जंग के मैदान में अपनी ताकत बढ़ा रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार रूस के राष्ट्रवादी समूह इस काम में पुलिस की मदद करते हैं और वह नियमित तौर पर मुसलमानों की सभा या अस्थायी प्रार्थना स्थल की जानकारी देते हैं जहां अप्रवासी बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रवासियों को बंद कर दिया जाता है और उन्हें सैन्य सेवा में भर्ती होने के लिए मजबूर किया जाता है, उनके सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए कई तरह की धमकियों का सामना करना पड़ता है. इन मुस्लिम शरणार्थियों को डिपोर्टेशन या ड्रग्स तस्करी जैसे झूठे केस में फंसाने की धमकी दी जाती है, जिससे डरकर वह सेना में भर्ती होने का विकल्प चुनें और जंग के मैदान में रूस के लिए लड़ाई लड़ें.

रूस पर इस तरह का आरोप लगना नई बात नहीं है, इससे पहले रूस पर यूक्रेन के खिलाफ करीब 10 हज़ार नॉर्थ कोरियाई सैनिकों को शामिल करने और फिर यमन के हूती लड़ाकों को अच्छे वेतन वाली नौकरी और रूसी नागरिकता देने का वादा कर सेना में शामिल कराने का आरोप लग चुका है.

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