नई दिल्ली (New Delhi)। खराब गुणवत्ता की दवाओं के निर्माण (manufacturing of substandard drugs) और इससे जुड़े विभिन्न मानकों का पालन न करने पर सरकार ने 23 दवा कंपनियों के लाइसेंस (23 pharmaceutical companies license) या तो रद्द कर दिए हैं या उनके दवा उत्पादन पर रोक (ban on drug production) लगा दी है। जबकि 32 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस (Show cause notice) जारी किए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि खराब गुणवत्ता की दवाओं की आपूर्ति को लेकर ड्रग कंट्रोलर की तरफ से देश के 20 राज्यों में स्थित दवा कंपनियों की जांच की गई है। इसमें राज्य ड्रग कंट्रोलरों की भी मदद ली गई है। अब तक सैकड़ों कंपनियों की जांच की जा चुकी है। 23 कंपनियों पर कार्रवाई की गई है।
इन कंपनियों को पहले नोटिस जारी किए गए थे। जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद लाइसेंस रद्द किए जाने या उनके उत्पादन पर रोक की कार्रवाई की गई है। इनमें 13 उत्तराखंड और नौ हिमाचल की कंपनियां हैं। बाकी कंपनियां मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा एवं अन्य प्रदेशों से हैं।
सूत्रों ने बताया कि निरीक्षण के दौरान मानकों में खामियां पाए जाने पर 32 अन्य कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से कुछ कंपनियों के जवाब आ गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है, उनके बाद उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। जिन कंपनियों को नोटिस दिए गए हैं, उनमें भी ज्यादातर कंपनियां हिमाचल और उत्तराखंड में स्थित हैं।
बता दें कि पिछले कुछ महीनों के दौरान कई देशों से भारत से आयातित दवाओं की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिली हैं। इसके बाद ही सरकार की तरफ से देशभर में दवाओं की गुणवत्ता की जांच को लेकर अभियान शुरू किया गया है, जो अभी भी जारी है। इसमें यह देखा जा रहा है कि उनके द्वारा तय मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
इन कंपनियों के खिलाफ हुई कार्रवाई
जिन फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है उनमें देहरादून की हिमालया मेडिटेक प्राइवेट लिमिटेड, मध्य प्रदेश के इंदौर की सन एजे, एमपी के ही उज्जैन की विंटोकेम, हरिद्वार की ओम बायोमेडिक, देहरादून की एसवीपी लाइफ साइंसेज, रुड़की की एप्पल फॉर्म्युलेशन और रिलीफ बायोटेक, काशीपुर की एग्रोन रेमेडीज और रुड़की की बजाज फॉर्मूलेशन का नाम शामिल है। इन कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं और इन्हें दवा का उत्पादन बंद करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की एथेंस लाइफ साइंसेज, लैबोरेट फार्मास्यूटिकल्स, लाइफ विजन हेल्थकेयर और जेएम लैबोरेटोरीज को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
इन राज्यों में हुई है कार्रवाई
जिन 20 राज्यों में जांच की गई उनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। मामले से परिचित लोगों के अनुसार, संयुक्त निरीक्षण बढ़े हुए फार्मा निगरानी उपायों का एक हिस्सा है जिसे सरकार ने भारत निर्मित उत्पादों से जुड़ी तीन घटनाओं के बाद अपनाने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश ड्रग्स कंट्रोलिंग एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने हाल ही में नोएडा स्थित दवा कंपनी मैरियन बायोटेक का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इस कंपनी के कफ सिरप को कथित तौर पर पिछले साल दिसंबर में उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत से जोड़ा गया था।
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