नई दिल्ली: मणिपुर (Manipur) में काफी समय से जारी तनाव के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने सोमवार को मैतेई चरमपंथी संगठनों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) और इसकी आर्म विंग मणिपुर पीपुल्स आर्मी (MPA) समेत कई को पांच साल की अवधि के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित करते हुए बैन लगा दिया है.
मणिपुर उस समय हिंसा की आग में जल उठा जब 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए. हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं. हिंसा की वजह से हजारों की संख्या में लोग पलायन कर दूसरे राज्यों में रहने के लिए मजबूर हैं. इसके साथ-साथ हजारों लोगों को राहत शिविर में रखा गया है.
पीएलए, यूएनएलएफ, पीआरईपीएके, केसीपी, केवाइकेएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 (1967 का 37) के तहत गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंधित घोषित किया गया था, जिसके बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध को पांच साल तक के लिए आगे बढ़ा दिया है. अपनी अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मैतेई चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो वे अपने अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को संगठिन करने का अवसर तलाश सकते हैं.
ये संगठन अपने हानिकारक ताकतों के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का प्रचार कर सकते हैं और नागरिकों की हत्याओं में शामिल हो सकते हैं पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों को निशाना बना सकते हैं. सरकार ने कहा है कि ये संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद खरीदेंगे. नोटिफिकेशन में कहा गया कि इन संगठनों की ओर से गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से धन भी जुटाया गया है. ऐसे में इन मैतेई चरमपंथी संगठनों पर बैन लगाना जरूरी हो गया है.
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