वॉशिंगटन । रूस-यूक्रेन (Russia–Ukraine) को करीब तीन साल होने वाले हैं। मगर दोनों ही देश हथियार डालने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में यूक्रेन की मदद कर रहे अमेरिका ने एक बार फिर रूस पर कड़ी कार्रवाई की है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर अबतक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध का उद्देश्य कीव की स्वतंत्रता को बनाए रखना और मॉस्को के खिलाफ उसकी लड़ाई में मदद करना है।
‘रूस की अर्थव्यवस्था पर चोट देने की कोशिश’
डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता सौंपने से 10 दिन पहले राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करेगा और उसके युद्ध जारी रखने में कठिनाई उत्पन्न करेगा। इससे यूक्रेन और अमेरिका की नई सरकार मॉस्को पर दवाब बना सकेगी।उन्होंने यह भी कहा कि रूस के खिलाफ यह प्रतिबंध रूस की ऊर्जा कंपनियों, खासकर गैस के निर्यात से जुड़ी कंपनियों पर लगाए गए हैं। इनमें दो भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं।
क्या बोले बाइडन?
राष्ट्रपति ने बताया कि ये प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालेंगे। इससे युद्ध क्षमता भी प्रभावित होगी। हालांकि, गैस की कीमतों में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन इसका असर रूस की युद्ध मशीनरी पर बड़ा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य रूस को संघर्ष जारी रखने का कोई मौका नहीं देना है। उन्होंने कहा, ‘संभावना है कि गैस की कीमतों में प्रति गैलन 0.03 से 0.04 डॉलर तक बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन इसका रूस की युद्ध क्षमता पर अधिक गहरा प्रभाव पड़ेगा।’
‘बर्बरता जारी रखने का नहीं देंगे कोई मौका’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने पहले ही तय कर लिया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अभी मुश्किल स्थिति में हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मॉस्को को अपनी बर्बरता जारी रखने का कोई भी मौका नहीं मिलना चाहिए। जैसा कि मैंने कहा कि आर्थिक रूप से उनकी अपनी समस्याएं हैं, आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण समस्याएं हैं और साथ ही घर पर राजनीतिक रूप से भी। इसलिए मैंने फैसला किया कि यूक्रेन को स्वतंत्र बनाए रखने के लिए मैं अपनी पूरी ताकत और अधिकारों के भीतर यूक्रेन को हरसंभव सहायता करूंगा।’
यूक्रेनी राष्ट्रपति से की लंबी बातचीत
बाइडन ने यह भी कहा कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से लंबी बातचीत की थी। इस दौरान बाइडन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगर हम पश्चिमी यूरोप को एकजुट बनाए रखें तो यूक्रेन के लोग सच में विजय हासिल कर सकेंगे क्योंकि रूस के लिए यह बहुत महंगा साबित हो रहा है। उनके द्वारा लाए कोरियाई सैनिकों की मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। वहीं, 600,000 से अधिक लोग मारे गए या घायल हुए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैंने यह साफ कर दिया है कि मैंने अपने राष्ट्रपति पद के अधिकार के तहत यूक्रेन की मदद के लिए हर संभव वित्तीय सहायता प्रदान की है। मुझे पता है कि हिल में बहुत से डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन हैं जो मानते हैं कि हमें यूक्रेन का समर्थन जारी रखना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि अगर ट्रंप यूक्रेन की मदद रोकते हैं, तो यह लोग अपनी आवाज उठाएंगे और राष्ट्रपति से असहमत होंगे।’
बता दें, जिन दो भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं वो स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविशन मैनेजमेंट सर्विसेज है।
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