नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति (us President) जो बाइडेन (Joe Biden) ने शनिवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (xi jinping) से बतौर राष्ट्रपति अंतिम बार मुलाकात की, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप (donald trump) के शपथ ग्रहण से पहले तनाव कम करने का उनका लक्ष्य साइबर अपराध, व्यापार, ताइवान और रूस को लेकर नए विवादों के कारण चुनौतीपूर्ण हो गया है.
व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि, बाइडेन और शी ने सात महीनों में पहली बार बातचीत की, जो एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन के दौरान पेरू के लीमा में हुई. यह बैठक अमेरिकी समयानुसार शाम 4 बजे निर्धारित थी.
साइबर हमले और ताइवान को लेकर अमेरिका नाराज़
वॉशिंगटन हाल ही में चीन से जुड़े एक साइबर हमले से नाराज़ है, जिसमें अमेरिकी सरकारी अधिकारियों और राष्ट्रपति अभियान से जुड़े लोगों की टेलीफोन संचार प्रणाली को निशाना बनाया गया था. इसके अलावा, ताइवान पर बढ़ते दबाव और रूस को चीनी समर्थन ने भी अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं. ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते आने वाले हफ्तों में अमेरिकी राज्य हवाई और संभवतः गुआम में रुकने की योजना बना रहे हैं, जो निश्चित रूप से बीजिंग को नाराज़ करेगा. इसी बीच, बाइडेन ने ताइवान के प्रतिनिधि और पूर्व अर्थव्यवस्था मंत्री लिन हसिन-ई से भी मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें ताइवान आने का निमंत्रण दिया.
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय समर्थक और हथियार आपूर्तिकर्ता है, भले ही दोनों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध न हों.
व्यापार को लेकर बढ़ती खींचतान
बाइडेन के प्रशासन द्वारा चीनी अर्थव्यवस्था पर लगाए गए व्यापार प्रतिबंध, जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर्स में अमेरिकी निवेश पर सीमाएं और उन्नत कंप्यूटर चिप्स के निर्यात पर रोक, बीजिंग को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन सभी मुद्दों पर दोनों नेताओं की बातचीत में चर्चा होने की संभावना है. हालांकि, चीन ने हमेशा अमेरिका के हैकिंग के आरोपों को खारिज किया है और ताइवान तथा रूस से संबंधित मामलों को अपनी आंतरिक नीति बताया है.
ट्रम्प की नई व्यापार नीति और चीन की चिंता
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद चीनी सामानों पर 60 प्रतिशत का blanket tariff लगाने की योजना बनाई है. इसके साथ ही वह अमेरिकी प्रशासन में चीन के खिलाफ सख्त नीतियों के पक्षधर अधिकारियों को नियुक्त करने की तैयारी में हैं. इनमें मार्को रुबियो को विदेश मंत्री और माइक वॉल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में शामिल किया जा सकता है.
बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने इस संक्रमण काल को प्रतिद्वंद्वियों के लिए अवसर की तरह देखा और कहा कि बाइडेन शी जिनपिंग के साथ “स्थिरता, स्पष्टता और भविष्यवाणी” बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देंगे.
शंघाई के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ शेन डिंगली ने कहा कि चीन इस संक्रमण काल के दौरान तनाव को कम करना चाहता है. उन्होंने कहा, “चीन निश्चित रूप से नहीं चाहता कि ट्रंप के पदभार ग्रहण करने से पहले अमेरिका के साथ संबंधों में कोई बड़ा तनाव पैदा हो.”
दक्षिण अमेरिका में चीन की बढ़ती पैठ
लीमा में आयोजित यह शिखर सम्मेलन अमेरिका के लिए अपने ही क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का संकेत है. चीन इस समय लैटिन अमेरिकी देशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक कूटनीतिक प्रयास कर रहा है, जिससे अमेरिका को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
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