जबलपुर। नौ दिन तक मां की आराधना में डूबने के बाद संस्कारधानी में दसवें दिन जबलपुर का मुख्य चल समारोह निकला। जिसमें धर्म, संस्कृति और भक्ति में डूबे लोगों ने देवीं मां को नम आंखों से विदा किया। रात करीब साढ़े सात बजे तीन पत्ती से दशहरा चल समारोह का शुभारंभ हुआ। इसका नेतृत्व गोविंदगंज रामलीला समिति द्वारा किया जाता है। इस ऐतिहासिक दशहरे में झांकियों में जहां राम, रावण युद्ध के संजीव दृश्य दिखे, वहीं शहर में विराजित मां भगवती की 25 प्रतिमाएं चल समारोह में शामिल हुई। भक्ति भाव में डूबी संस्कारधानी की सड़कें आस्था में डूबे भक्तों से भरी रहीं। दशहरे चल समारोह को देखते हुए प्रशासन शहर में चाक चौबंद व्यवस्था रखी है। देश दुनिया में सुविख्यात मैसूर के दशहरे के बाद नर्मदा किनारे संस्कारधानी के विजयादशमी महोत्सव की चर्चा यूं हीं नहीं होती। इसकी वजह है संस्कारधानी के मुख्य चल समारोह में उमड़ा जनसैलाब का जबरदस्त उल्लास। श्री गोविंदगंज रामलीला के जुलूस ने परंपरा अनुरूप दशहरे की अगवानी की। राम और रावण का युद्ध मुख्य आकर्षण था। अन्य झांकियां मनमोहक थीं। इंटर नेशनल श्याम बैंड की धुनें वातावरण में उत्साह का अपरिमित संचार कर रही थीं। शेर नृत्य और दुल दुल घोड़ी के नृत्य नयनाभिराम थे। नगर सेठानी करोड़ों के आभूषणों से सजी सुनरहाई की विशुद्ध बुंदेलखंडी शैली वाली मातारानी दुर्गा प्रतिमाओं में अग्रणी थीं।
किताब माफिया पर कार्रवाई की झांकी
गोविंदगंज रामलीला समिति की विविध झांकियों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस दौरान चल समारोह में नारी जागृति, किताब माफिया के चंगुल में लोग, पर्यावरण, ज्ञानवापी सहित कई धार्मिक झांकियां शामिल हुईं। रथ पर सवार रावण ने बच्चों को टाफी, बिस्किट फल बांटे। समरसता सेवा संगठन एवं मालवीय चौक मित्र मंडल ने भगवान श्रीराम एवं देवी प्रतिमाओं का पूजन कर स्वागत किया। इस दौरान वैश्य महासम्मेलन द्वारा नगर निगम चौक के समीप मंच लगाकर पूजन किया गया। इसमें प्रदेश मंत्री राजेश अग्रवाल, अतुल चौरसिया, जितेंद्र देव गुप्ता, मनीष अग्रवाल, डॉ विनय गुप्ता, दुर्गाशंकर गुप्ता, जमुनाप्रसाद गुप्ता आदि मौजूद रहे।
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