मुंबई। हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में कांग्रेस की हार के बाद भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) निशाने पर थे। इसके बाद भी ज्यादातर विधायक (MLA) चाहते हैं कि उन्हें ही नेता विपक्ष की जिम्मेदारी दी जाए। यह राय विधायकों ने पार्टी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों के समक्ष भी जाहिर की, जिसे उन्होंने हाईकमान के सामने रखा है। अब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा कि हार के बाद भी हरियाणा में हुड्डा के हाथ ही पार्टी की कमान रहे या फिर किसी और नेता को चुना जाए। पर्यवेक्षक के तौर पर अशोक गहलोत, अजय माकन और पंजाब के नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा पहुंचे थे।
इन नेताओं ने सभी विधायकों से अलग-अलग बात की थी। इन लोगों का कहना था कि हुड्डा ही राज्य में सबसे मजबूत लीडर हैं और उन्हें ही कमान सौंपी जाए। कई विधायकों ने कहा कि भूपिंदर सिंह हुड्डा ने विधानसभा चुनाव में नेतृत्व किया और मजबूती के साथ उतरे। हुड्डा खेमे की दिल्ली में एक मीटिंग भी हुई थी, जिसमें पार्टी से जीते 37 में से 31 विधायक पहुंचे थे। इसे भूपिंदर सिंह हुड्डा की ओर से शक्ति प्रदर्शन की एक कोशिश माना गया था। अब हाईकमान के सामने पर्यवेक्षकों ने भी हुड्डा का ही समर्थन ज्यादा होने की रिपोर्ट पेश की है।
इस मीटिंग को लेकर हुड्डा का कहना था कि यह औपचारिक ही थी। फिर भी जिस तरह से ढाई दर्जन विधायक जुटे, उससे राजनीतिक कयास लगते ही हैं। कई विधायकों ने कहा कि भाजपा की लगातार तीसरी बार सरकार बनने के बाद कांग्रेस के भविष्य को लेकर चिंता की स्थिति है। ऐसे में इस सरकार से मुकाबले के लिए विपक्ष की कमान किसी मजबूत नेता के हाथों में ही होनी चाहिए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved