भोपाल। दमोह विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का मैदान सज गया है। उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायक राहुल लोधी और कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन के बीच है। लेकिन इस उपचुनाव में भाजपा सरकार के दो मंत्रियों नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव की साख दांव पर है। इन दोनों मंत्रियों को पार्टी ने प्रभारी नियुक्त किया है। इन दोनों नेताओं पर पार्टी को जीताने की जिम्मेदारी होगी। चुनाव आयोग ने 16 मार्च को ऐलान किया कि मप्र की दमोह विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव 17 अप्रैल को होगा। अन्य विधानसभा चुनावों के परिणाम के साथ-साथ 2 मई को दमोह सीट का भी नतीजा घोषित होगा। अक्टूबर, 2020 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक राहुल लोधी के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो गई थी। तब राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस उपचुनाव को केंद्रीय मंत्री तथा दमोह से सांसद प्रहलाद सिंह और पूर्व राज्य मंत्री जयंत मलैया के बीच छद्म युद्ध के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी उपचुनाव के इस जंग में जोरदार तरीके से उपस्थित है। कांग्रेस ने अजय टंडन को यहां का अपना प्रत्याशी बनाया है। वे दमोह से कांग्रेस के वफादार परिवार से हैं।
लोधी की राह आसान नहीं
मलैया 2018 में कांग्रेस के राहुल लोधी से करीब 800 वोटों से हार गए थे। राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कुल 26 लोगों में आखिरी शख्स थे। अन्य 25 लोगों को नवंबर, 2020 में मध्य प्रदेश में उपचुनाव का टिकट देकर पुरस्कृत कर दिया था। उम्मीद थी कि समझौते के तहत लोधी को टिकट मिल जाएगा। लेकिन लोधी स्थानीय तौर पर बहुत लोकप्रिय नहीं हैं और मलैया दमोह के दिग्गज नेता हैं। ऐसे में लोधी की राह आसान नहीं है। मलैया 1990 और 2013 के बीच छह बार यह सीट जीत चुके हैं। मलैया के बेटे सिद्धार्थ भी टिकट के दावेदारों में शामिल थे। भाजपा जहां लोधी को पुरस्कृत करना चाहती है, वहीं यह भी चर्चा है कि सिद्धार्थ निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि साल 1984 में दमोह सीट कांग्रेस विधायक चंद्र नारायण टंडन के निधन के बाद रिक्त हो गया था। कांग्रेस ने उनके भतीजे अनिल टंडन को मैदान में उतारा थो जो भाजपा उम्मीदवार जयंत मलैया से हार गए थे।
मलैया की जीत ने उनके सियासी करियर को 2018 तक मजबूत बनाए रखा, तब तक वे भाजपा सरकार में मंत्री बने रहे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दमोह उपचुनाव लोधी के करियर को पुनर्जीवित करेगा, या किसी नए नेता को उभारेगा।
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