भोपाल। बेतरतीब ढंग से विस्तार ले रहे भोपाल का मास्टर प्लान 18 साल से नहीं आया है। मास्टर प्लान बनकर तैयार है, लेकिन शासन स्तर पर कई महीनों से लंबित है। अब सरकार मास्टर प्लान लागू करने से पहले एक बार फिर दावे आपत्ति बुलाएगी। इसके बाद मास्टर प्लान चुनाव से पहले लागू हो सकता है। खास बात यह है कि बिना मास्टर प्लान के शहर में बड़े प्रोजेक्ट मेट्रो लाइन, सड़कों, नालियों और बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। भोपाल के मास्टर प्लान की अवधि वर्ष 2005 में ही समाप्त हो चुकी है, लेकिन प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद नया मास्टर प्लान अब तक नहीं बन पाया है। अब इसके प्रारूप में हुए संशोधन को अधिसूचित करके फिर दावे-आपत्ति आमंत्रित किए जाएंगे। इनका निराकरण करने के बाद ही मास्टर प्लान को अंतिम रूप दिया जाएगा। नगर तथा ग्राम निवेश संचालनालय ने तीन साल पहले मार्च 2020 को मास्टर प्लान का प्रारूप जारी कर दावे-आपत्ति बुलाए थे। इनकी सुनवाई करने के बाद संचालनालय स्तर पर प्रारूप में बदलाव किए गए। शासन स्तर पर भी कुछ संशोधन किए गए है। इन परिवर्तन को लेकर एक बार फिर से आमजन से दावे-आपत्तियां आमंत्रित किए जाएंगे। इसके लिए एक माह का समय दिया जाएगा। इस अवधि में प्राप्त दावे-आपत्ति का निराकरण करने के बाद ही मास्टर प्लान का अंतिम प्रकाशन होगा और यह प्रभावी हो जाएगा।
2045 तक के लिए आएगा मास्टर प्लान
अमृत योजना के तहत वर्ष 2035 तक के लिए मध्य प्रदेश के 34 शहरों का मास्टर प्लान बनाया जाना है। इंदौर और जबलपुर शहर का हाल यह है कि वहां भी बिना मास्टर प्लान के अनियोजित विकास हो रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई बैठक से आकर अमृत योजना के तहत प्रदेश के शहरों का मास्टर प्लान बनाने के निर्देश दिए थे। भोपाल का जो मास्टर प्लान आएगा वह अगले 20 साल को ध्यान में रखकर लाया जाएगा। नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोईने बताया कि मास्टर प्लान के प्रारूप में दावे-आपत्ति के निराकरण के बाद कुछ संशोधन प्रस्तावित हैं। इन्हें अधिसूचित करके आमजन से दावे-आपत्ति लिए जाएंगे एवं उनका निराकरण करने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा और यह लागू हो जाएगा।
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