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भोपाल स्मार्ट सिटी का सबसे बड़ा घोटाला

November 06, 2020

  • पात्र दुकानदारों की जगह बाहरियों को आवंटित की दुकानें
  • दुकानदारों के विरोध के बाद

भोपाल। राजधानी के सबसे विकसित और व्यवस्थित जगह को तहस-नहस कर निर्मित की जा रही स्मार्ट सिटी में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। स्मार्ट सिटी के अफसरों ने कुछ स्थानीय नेताओं और फुटपाथी कारोबारियों के साथ सांठगांठ कर चिन्हित दुकानदारों की जगह बाहरियों को दुकानें आवंटित कर दी हैं। पात्र दुकानदारों की सक्रियता के कारण यह घोटाला सामने आया है। घोटाला करने वाले अब तरह-तरह के बहाने कर रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्मार्ट सिटी के तहत जवाहर चौक पानी की टंकी के पास से 140 दुकानों को हटाया गया था और उन्हें काटजू अस्पताल के सामने जगह देने का आश्वासन दिया गया था। 11 महीने से विस्थापित दुकानदार लगातार प्रयास में लगे हुए हैं कि उन्हें प्रस्तावित जगह पर दुकान की जगह मिल जाए। गुरुवार को स्मार्ट सिटी के चीफ इंजीनियर ओपी भारद्वाज और चंद्रमणी मिश्रा एक सूची लेकर पहुंचे और बताया कि इस सूची के अनुसार दुकानदारों को दुकान के लिए जगह आवंटित की गई है।

140 में से मात्र 20 ही सूची में
जवाहर चौक पानी की टंकी से हटाए गए दुकानदारों ने जब वह सूची देखी तो उसमें चिन्हित किए गए 140 दुकानदारों में से मात्र 20 का ही नाम सूची में था, जबकि 70 से 80 नाम बाहरी लोगों के थे। व्यापारी संघ के अध्यक्ष राकेश गुप्ता और त्रिभुवन मिश्रा ने बताया कि स्मार्ट सिटी के चीफ इंजीनियर ओपी भारद्वाज, चंद्रमणी मिश्रा सहित कुछ अन्य अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की सांठगांठ से यह सूची बनाई गई है। इस सूची में अपात्रों को शामिल करने के लिए बड़े स्तर पर लेनदेन भी की गई है।

झूठ पर झूठ बोलते रहे स्मार्ट सिटी के अधिकारी
सूची में अपात्रों को शामिल करने को लेकर व्यापारी आक्रोशित हुए तो मामला थाने तक पहुंच गया। सीएसपी उमेश तिवारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्मार्ट सिटी के अधिकारियों और व्यापारियों के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों को बुलाकर बैठक की। जिसमें स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने पहले बताया कि सूची नगर निगम ने फायनल की है। फिर कहा कलेक्टर ने फायनल की है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के झूठ से यह बात साफ हो गई है कि सूची बनाने में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ है।

कलेक्टर को अंधेरे में रखकर करा लिया साइन
व्यापारी संघ के त्रिभुवन मिश्रा ने बताया कि सूची देखकर कोई भी कह सकता है कि स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने कलेक्टर को अंधेरे में रखकर सूची पर साइन कराया है। उन्होंने बताया कि सूची में ऊपर 20 नाम पात्र व्यापारियों के हैं और उसके नीचे अपात्रों का नाम है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में हमने अधिकारियों को ज्ञापन देकर जांच कराने की मांग की है।

भारद्वाज ले रहे सबसे अधिक रूचि
व्यापारियों का आरोप है कि स्मार्ट सिटी के चीफ इंजीनियर ओपी भारद्वाज इस सूची को लेकर सबसे अधिक रूचि दिखा रहे हैं। उन्हीं के दिशा निर्देश पर अपात्र लोगों को सूची में शामिल किया गया है। जानकारी के अनुसार भारद्वाज का स्थानांतरण हो गया है, लेकिन वह अभी तक रिलीव नहीं हुए हैं। यही नहीं व्यापारियों का आरोप है कि वह अपना काम छोड़कर रात को घुमघुमकर आश्रय पत्र बांट रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि इसकी जांच होनी चाहिए।

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