भोपाल। भोपाल में मेट्रोपॉलिटन एरिया विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। इसके लिए मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री और सीईओ सीनियर अधिकारी होंगे। भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में भोपाल-सीहोर-औबेदुल्लागंज रहेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मेट्रो रेल के लिए मेट्रोपॉलिटन एरिया जरूरी होगा। अथॉरिटी बनने के बाद स्थानीय निकाय अपना काम करेंगे और अथॉरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के लिए काम करेगी। राजधानी का मेट्रोपॉलिटन एरिया तय करने में प्लानिंग का केंद्र हैदराबाद मेट्रो डवलपमेंट अथॉरिटी रहेगा। इसी मॉडल के आधार पर भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में विदिशा, रायसेन, सीहोर, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज शामिल होंगे। भोपाल नगर निगम क्षेत्र के बाहर विकास अनुमतियां अथॉरिटी जारी करेगी और डवलपमेंट चार्ज लेगी। जानकारी के अनुसार मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की पहली शर्त ही मेट्रोपोलिटन रीजन बनाने की होती है। अब मेट्रो को सीहोर तक बढ़ाने और इसे भोपाल का उपनगर बनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भोपाल को मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाना बेहद जरूरी हो गया है। सीहोर के साथ विदिशा, रायसेन जिलों को शामिल करना होगा। ये दिल्ली एनसीआर या हैदराबाद मेट्रो डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरह विकसित किया जा सकता है। इसका औद्योगीकरण और रोजगार में इजाफे के तौर पर दिखाई देगा और शहरों के बीच की दूरी कम होगी।
मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को गति देने में मदद मिलेगी
अधिकारियों ने बताया कि हमने जो डीपीआर बनाई थी, उसमें मेट्रो एक्ट के तहत मेट्रोपोलिटन रीजन बनाना तय किया था। इसे अब किया जा रहा है, ये बेहद अच्छा है। इससे शहर और शहर से बाहर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को गति देने में मदद मिलेगी। मेट्रोपॉलिटन रीजन के साथ एक ऐसी अथॉरिटी गठित होगी जो भोपाल से लेकर संबंधित जिलों तक व्यवस्थाएं संभालेंगी। इन शहरों की एजेंसियों को एक ही छत के नीचे से संचालित किया जाएगा। भोपाल नगर निगम क्षेत्र के बाहर विकास अनुमतियां अथॉरिटी जारी करेगी और डेवलपमेंट चार्ज लेगी। वर्ष 2019 के बीच में काम शुरू किया था। तब टीएंडसीपी के तत्कालीन डायरेक्टर राहुल जैन के साथ एक टीम हैदराबाद का दौरा करने गई थी। इसके साथ ही टीएंडसीपी के संयुक्त संचालक अमित गजभिये एक अलग टीम के साथ अमरावती का अध्ययन करने गए थे।
पूरे रीजन की एक अथॉरिटी बनेगी।
मेट्रोपॉलिटन रीजन के तहत इसमें शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र व राज्य से मिलने वाले फंड एक ही खाते में संयुक्त तौर पर आएगा। पूरे रीजन को लेकर एक अथॉरिटी बनेगी। एक ही प्रभारी अधिकारी होने से विभागों में सामंजस्य बढ़ेगा। संबंधित शहरों में उनके नाम से आई राशि के अनुपात में विकास खर्च होगा। ऐसे में राजधानी के आसपास के छोटे शहरों में भी बड़े प्रोजेक्ट की प्लानिंग बनाई जा सकेगी। इसके लिए राज्य सरकार को केंद्र से एमओयू साइन करना था, लेकिन ये नहीं हो पाया। मेट्रोपॉलिटन रीजन बनने के बाद एमपी मेट्रो रेल कंपनी में राज्य के साथ केंद्र के अधिकारी भी पदस्थ होंगे। केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाला फंड भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल शहरों के अनुपात में तय होगा। अभी इनमें राज्य सरकार और स्थानीय निकाय के खजाने से विकास कार्य होते हैं। बड़े प्रोजेक्ट केवल राजधानी तक सीमित हैं। आसपास के जिले पिछड़े नजर आते हैं। जल्द ही राज्य सरकार व केंद्र के बीच एमओयू साइन होगा। एमपी मेट्रो रेल कंपनी में राज्य के अधिकारी पदस्थ हैं। इसमें अब केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल हो जाएंगे और अतिरिक्त फंड मेट्रो रेल परियोजना के लिए मिलना शुरू हो जाएगा।
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