इंदौर। भोपाल (Bhopal) जैसे शहर के अध्यक्ष (city president) ने कल अपनी नगर कार्यकारिणी (city executive) की घोषणा कर दी, लेकिन इंदौर (Indore) में अभी तक कार्यकारिणी को लेकर पेंच फंसा हुआ है। सूत्र बता रहे हैं कि महामंत्री पद (general secretary post) को लेकर हर नेता दबाव बनाने में लगा है। सिलावट समर्थकों (Silvat supporters) को भी एडजस्ट किए जाने का दबाव नगर अध्यक्ष पर है, लेकिन अध्यक्ष का दावा है कि सूची भोपाल (Bhopal) भेज दी है। इंदौर शहर (Indore city) और ग्वालियर शहर की कार्यकारिणी अभी तक घोषित नहीं हो पाई है।
दोनों ही जगह सिंधिया समर्थकों (Scindia supporters) का बोलबाला है और जिस तरह से निगम-मंडलों में सिंधिया समर्थकों को तवज्जो मिली है, उसी तरह सिंधिया खेमा चाहता है कि संगठन में भी उसकी पकड़ हो। इसी कारण दो बड़े शहरों की कार्यकारिणी अटक गई है। पहले माना जा रहा था कि इंदौर नगर और ग्रामीण की कार्यकारिणी एक साथ ही घोषित की जाएगी, लेकिन मंगलवार को जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर (District President Rajesh Sonkar) ने सामंजस्य बनाते हुए अपनी कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। ग्रामीण क्षेत्र की सूची भी भोपाल (Bhopal) से ही स्वीकृत होने के बाद जारी हो सकी, जिसमें सांवेर से सोनकर समर्थकों को तवज्जो मिली है।
सोनकर का कहना है कि गुटीय और जातीय संतुलन के साथ-साथ काम करने वालों को उन्होंने मौका दिया है। फिर भी सूची में देपालपुर के चिंटू वर्मा का नाम चौंकाने वाला रहा, जो ग्रामीण भाजपा के इतिहास में लगातार दूसरी बार लिए जाने वाले महामंत्री रहे हैं। वे विजयवर्गीय (Vijayvargiya) के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। इसी दिन नगर की सूची भी घोषित होने की तैयारी थी, लेकिन उसमें पेंच फंस गया। बताया जा रहा है कि महामंत्री पद पर सिंधिया समर्थक एक नाम मांग रहे हैं, लेकिन पहले ही भाजपा के दूसरे गुटों ने महामंत्री के लिए कई नाम दे रखे हैं। भाजपा में महामंत्री पद काफी मायने रखता है और इस पद पर हर गुट अपना कब्जा चाहता है।
वैसे यहां एक अजा तो एक संगठन (Organization) का व्यक्ति पद पर आता है और फिर किसी एक नाम को तवज्जो दी जाती है। पिछली दो कार्यकारिणी से मेंदोला समर्थक (Mendola Supporter) इस पद पर थे। दूसरी ओर गौरव रणदिवे (Gaurav Ranadive) का दावा है कि अब किसी भी तरह का पेंच नहीं है। सभी पेंच निपटा लिए गए हैं और सूची प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (State President VD Sharma) को सौंप दी गई है। वहां से ही यह सूची घोषित हो जाएगी, जबकि सूत्रों का कहना है कि इंदौर के नेता भोपाल में भी दबाव बनाने पहुंच गए हैं। इंदौर और ग्वालियर की सूची तब तक घोषित नहीं होगी, जब तक इसमें सिंधिया समर्थकों को पर्याप्त पद नहीं दिए जाएंगे। वैसे पार्टी ने एक नया प्रयोग करते हुए सिंधिया समर्थकों को एडजस्ट करने के लिए मंत्री और उपाध्यक्ष के 3-3 पद बढ़ा दिए हैं।
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