नई दिल्ली। भोपाल जेल (Bhopal jail) में बंद सिमी (SIMI) के 4 सदस्यों को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जमानत (Bail) मिल गयी. MP ATS समय पर उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश नहीं कर सकी. ATS की लेटलतीफी के कारण उन्हें जमानत(Bail) मिल गयी. इसी का लाभ जमानत में चारों आरोपियों को मिला है.
24 दिसंबर 2013 को खंडवा जेल ब्रेक (Khandwa Jail Break) कर भागे सिमी के 7 कैदियों को शरण देने, उनकी सहायता करने के आरोप में सिद्दीकी, इस्माइल माशालकर, उमर दंडोती और इरफान को गिरफ्तार किया गया था. यह चारों भोपाल सेंट्रल जेल (Bhopal Central Jail) में 28 अन्य सिमी कैदियों के साथ बंद हैं. अक्टूबर 2013 में खंडवा जेल के दो प्रहरियों को चाकू मारकर सिमी के सात कैदी फरार हो गए थे. जांच एजेंसी एमपी एटीएस के समय पर चार्जशीट पेश नहीं करने की वजह से चारों आरोपियों को जमानत मिल गयी. सभी महाराष्ट्र के शोलापुर के रहने वाले हैं.
एमपी एटीएस की लेटलतीफी
जानकारी के अनुसार 20 मार्च 2014 को एटीएस ने न्यायिक हिरासत बढ़ाने के लिए भोपाल जिला कोर्ट में आवेदन लगाया था. इस पर कोर्ट ने न्यायिक हिरासत की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी थी. आरोपियों ने अपनी जमानत के लिए कोर्ट में याचिका लगाई. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 2015 को इसे खारिज कर दिया. इसके बाद चारों आरोपी के पक्षकार हाई कोर्ट चले गए. हाईकोर्ट में उन्होंने जमानत के लिए याचिका लगाई. हाईकोर्ट ने भी उन्हें जमानत नहीं दी और भोपाल कोर्ट के फैसले को सही बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
हाई कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद चारों आरोपियों के पक्षकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. उनके वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि सीजेएम भोपाल की ओर से रिमांड के लिए दिया गया फैसला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर था. तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चारों आरोपियों को जमानत दे दी है. बताया जा रहा है कि एटीएस के जरिए चार्जशीट में लेटलतीफी करने की वजह से इन आरोपियों को जमानत का लाभ मिला है.
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