भोपाल। कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप को जांचने के लिए सैंपल्स की होल जीनोम सिक्वेंसिंग (WGS) के लिए अब नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) दिल्ली और दूसरी लैब पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। राजधानी भोपाल स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेस (AIIMS) में जीनोम सिक्वेंसिंग लैब शुरू हो गई है। एम्स भोपाल ने न केवल मध्य भारत में सबसे पहले जीनोम सिक्वेंसिंग का सेटअप तैयार किया है, बल्कि करीब 20 सैंपल्स की जीनोम सिक्वेंसिंग भी कर ली है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा सोमवार शाम को ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मध्यभारत में एम्स भोपाल ने सबसे पहले जीनोम सिक्वेंसिंग लैब तैयार की है। कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप को जांचने के लिए अब नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल दिल्ली और दूसरी लैब पर निर्भरता खत्म होगी।
दरअसल, कोरोना के दौरान उत्पन्न हुई परिस्थितियों को देखते हुए एम्स डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने ट्रांसलेशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना शुरू की थी। इसी सेंटर में कोरोना सहित अन्य चुनौतियों, बीमारियों पर शोध शुरू कर जांच, उपचार और रोकथाम के लिए काम किया जाएगा। इसी में होल जीनोम सिक्वेंसिंग की व्यवस्था शुरू की है। एम्स में नेक्स्ट जेनरेशन सिक्वेंसिंग के लिए दो मशीनें मार्च में लग चुकी हैं।
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