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    भूमि पूजन हो गए लेकिन उद्योगों के पते नहीं..विकास केवल जुबानी

  • November 06, 2022

    • 14 महीने पहले भी देवास रोड पर नए उद्योगों की स्थापना के लिए हुआ था भूमिपूजन-बेरोजगारों को उद्योग-धंधे शुरू होने का इंतजार

    उज्जैन। उज्जैन को पिछले 30 साल से विकास के सपने दिखाए जा रहे हैं और कांगे्रस भाजपा के नेता शिलान्यास के पत्थर लगा देते हैं तथा भूमि पूजन पर चाय नाश्ता करवाकर भाषण करवा देते हैं और वाहवाही लूट लेते हैं तथा बाद में भूल जाते हैं। ऐसे कई पत्थर उखड़ गए और कई उद्योगों और फेक्टरी ने दम तोड़ दिया। यदि ईमानदारी होती तो उज्जैन के उद्योग धंधे बंद होते और न ही बेकारी फैलती। 30 साल पहले तक उज्जैन में कई कपड़ा मिलें थीं इनमें इंदौर टैक्सटाईल्स, बिनोद बिमल मिल, हीरा मिल के सूती कपड़े की तो देश विदेश तक डिमांड थी। इन मिलों में काम कर चुके मजदूर बताते हैं कि उस दौरान इन तीनों मिलों में तैयार होने वाला कॉटन का कपड़ा यूरोप के कई ठंडे मुल्कों में जाता था लेकिन राजनीति के चलते यह सारी मिलें कुछ सालों में एक-एक कर बंद हो गई। इनमें काम करने वाले स्थायी और बदलीदार मिलाकर करीब 10 हजार मजदूर काम करते थे। इनके आश्रित लगभग 40 हजार परिवार के सदस्य इन्हीं मिलों से मिलने वाली पगार से जीवन यापन करते थे। इसके अलावा एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट भी उज्जैन में ही खुला था। यह वही प्लांट हैं जहाँ तमिलनाडु के उद्योगपतियों ने पिछले साल 11 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मौजूदगी में होजयरी उद्योग की आधारशिला रखी थी। इसके अतिरिक्त मक्सी रोड पर श्री सिंथेटिक्स फैक्टरी भी थी। इसमें भी शहर के हजारों लोग काम करते थे। पिछले दो से ढाई दशक में यह सारे उद्योग तबाह हो गए। इनमें काम करने वाले मजदूर तभी से बेरोजगार हो गए थे। मिलों में काम करने वाले मजदूरों में से लगभग 60 फीसदी तो मर चुके हैं। 30 साल के संघर्ष के बाद अब जाकर विनोद-बिमल मिल के श्रमिकों को बकाया भुगतान मिलना शुरू हुआ है।



    900 से ज्यादा लघु उद्योग लेकिन सुविधाएँ नहीं
    प्रमुख मिलें बंद होने के बाद हालांकि आगर रोड स्थित उद्योगपुरी में पावर लूम उद्योग पनपने लगा था। इसके अलावा मक्सी रोड और देवास रोड स्थित उद्योगपुरी में भी लघु उद्योगों में मिल से बेरोजगार हुए ज्यादातर मजदूरों ने काम करना शुरु कर दिया था। इन तीनों उद्योगपुरियों में अभी लगभग 900 से ज्यादा लघु उद्योग हैं, जहाँ हजारों मजदूर काम कर रहे हैं। यह तीनों उद्योगपुरी आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। आगर रोड की उद्योगपुरी में सालों से सड़कें ही नहीं हैं। मक्सी रोड उद्योगपुरी में ड्रेनेज की वर्षों पुरानी समस्या है। यही हाल नागझिरी उद्योगपुरी में भी है।

    बांदका स्टील प्लांट से लेकर नॉलेज सिटी तक कुछ नहीं
    उल्लेखनीय है कि करीब एक दशक पहले जब रामविलास पासवान केन्द्र सरकार में केन्द्रीय इस्पात मंत्री थे, तब तत्कालीन सांसद उन्हें आगर रोड स्थित बांदका स्टील प्लांट का भूमिपूजन करवाने लाए थे। केन्द्रीय मंत्री पासवान ने इसका भूमिपूजन किया था और इसका आधारशिला पत्थर भी वहाँ लगाया गया था। कई सालों तक इस प्लांट का निर्माण कार्य शुरु ही नहीं हो पाया था। अभी भी यह अधर में ही है। इसी तरह सिंहस्थ 2016 के पूर्व देवास रोड पर नॉलेज सिटी बनाने की प्लानिंग की गई थी, वहीं नरवर पालखंदा में उद्योग सिटी बनाने की प्लानिंग भी हुई थी। यह दोनों बड़े उद्योग भी साकार नहीं हो पाए।

    देवास रोड पर भी उद्योगों के लिए हुआ था भूमिपूजन
    देवास रोड पर बंद पड़े सोयाबीन प्लांट की जमीन पर होजयरी उद्योग खोलने की प्लानिंग के तहत गत वर्ष 11 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इनकी आधारशिला रखने आए थे। उस दौरान तमिलनाडु के कई उद्योगपति भी मौजूद थे। योजना के अनुसार बताया गया था कि होजयरी फैक्टरी लगने से उज्जैन के 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। यह फैक्टरी दो शिफ्टों में चलेगी और एक शिफ्ट में दो हजार कर्मचारी काम करेंगे। शहर के लोग पिछले 14 महीनों से उम्मीद जता रहे हैं कि उद्योग शुरू होने के बाद जल्द उन्हें रोजगार मिलेगा। अभी तक यहां भी कोई उद्योग शुद्व नहीं हो पाया है।

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