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    भीम मीम की राजनीति और आतंकी पीएफआई का मिशन 2047

  • August 09, 2022

    – प्रवीण गुगनानी

    भीम मीम की राजनीति का षड़यंत्र भारत में शताधिक वर्षों से किया जा रहा है। जोगेंद्रनाथ मंडल, इस कुत्सित राजनीति का एक पठनीय व स्मरणीय अध्याय है। उसे दलित बंधुओं को अवश्य पढ़ना चाहिए। आज भी दलितों पर सर्वाधिक अत्याचार मुस्लिम समाज करता है। ये अत्याचार कई तरह के होते हैं। फिर यह समाज उनसे झूठी हमदर्दी जताता है। छोटी स्थिति के निर्धन, समाज से उपेक्षित दलित बंधु, मुस्लिमों के इस “फर्स्ट डामिनेट देन सिम्पेथिसाइज” के चक्र में सरलता से फंसते हैं। फिर प्रारंभ होता है डामिनेटेड दलित परिवारों को शेष हिंदू समाज के विरुद्ध भड़काने, उकसाने और दलितों को हिंसक गतिविधियों में लिप्त करवाकर उन्हें कानूनी चक्र में फंसाकर बर्बाद कर देने का अंतहीन अध्याय। इसी चक्र में दलितों का धर्मांतरण होता है और उनकी लड़कियों को लव जिहाद का शिकार भी बनाया जाता है। इसी क्रम में लव जिहाद के माध्यम से जनजातीय समाज की हजारों एकड़ भूमि भी हथिया ली गई है। ऐसी हजारों घटनाएं गूगल पर उपलब्ध हैं।आज समूचे दलित जगत में इस प्रकार की घटनाएं समय-समय पर स्थान-स्थान पर देखने को मिल रही हैं। भीम मीम की राजनीति का कड़वा सत्य यही है। भीम मीम की राजनीति का लक्ष्य हिंदू समाज में विभाजन कर भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना ही है।

    वस्तुतः मुस्लिमों के विस्तारवादी स्वभाव ने सवर्ण दलित दूरी की समस्या को बहुत पहले ही पहचान कर इसका लाभ उठाना प्रारंभ कर दिया था। पिछले दिनों भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का एक एक्शन प्लान सामने आ चुका है। इसमें आतंकियों ने आरएसएस और दलित समाज में दूरियां उत्पन्न करने की योजना बनाई थी। जिहादी पहचान गए हैं कि आरएसएस ही अब भारत में हिंदू समाज में भेदभाव और जाति पाति मिटाने वाला एकमात्र संगठन है। संघ के श्रीगुरूजी ने “तू मैं एक रक्त” का नारा देते हुए दलितों को हिंदू समाज की रक्षक भुजा बताया था। अतः पीएफआई और अन्य इस्लामी संगठन दलित ओबीसी और संघ में विभाजन के भरसक प्रयास कर रहे हैं।
    2009 और 2006 के मुंबई और 2008 के अहमदाबाद धमाकों में पीएफआई का नाम आया था।

    यह भी तथ्य है कि सिमी के सारे कार्यकर्ता इस संगठन से जुड़ गए हैं। सीएए के विरोध, हिजाब विवाद, दिल्ली दंगे, शाहीन बाग में पीएफआई और इसकी छात्र शाखा सीएफआई की सक्रिय भागीदारी थी। पीएफआई भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए “मिशन 2047” के एजेंडे पर काम कर रहा है। यह भारत में कई स्थानों पर मुस्लिमों को सैन्य प्रशिक्षण दे रहा है। पकड़े गए इन आतंकियों के पास सात पन्नों का दस्तावेज मिला है। इसके पहले पेज पर “मिशन India 2047” “Internal Dacument” और इसके नीचे लिखा है – “भारत इस्लाम की ओर”। इसमें मुस्लिम समाज को भड़काते हुए लिखा गया है कि भारत के नौ जिलों में मुस्लिम जनसंख्या 75 प्रतिशत हो गई है। “देश के इन नौ जिलों को छोड़कर मुस्लिमों की स्थिति बदतर है”।

    डॉक्यूमेंट में आगे लिखा है, “निचले स्तर पर कई स्व-घोषित मुस्लिम नेता हैं, लेकिन ये दृष्टिहीन और लक्ष्यहीन हैं। शेष मुस्लिम विश्व भारतीय मुसलमानों को एक मॉडल के रूप में देखता है। वैश्विक मुस्लिम समुदाय भारतीय मुसलमानों से किसी चमत्कार की आशा कर रहा है “अतः 2047 तक भारत में इस्लामिक सरकार बनाना ही होगा”। आगे लिखा है; इस्लामिक राष्ट्र बनाने के साथ ही मुस्लिमों के आर्थिक विकास के लिए एक रोडमैप “Empower India Foundation” प्रारंभ हो चुका है। इसका लक्ष्य 2047 तक भारत पर आर्थिक और राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना है। आगे लिखा है भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने के लिए मुस्लिमों को बहुसंख्यक होने की आवश्यकता भी नहीं है। 10 प्रतिशत मुस्लिम भी उसके साथ आ जाएं तो वह कायर हिंदुओं को घुटनों पर लाकर गुलाम बना देगा।

    इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीएफआई के हर लीडर के पास प्लान है और उसी के अनुसार कैडर को गाइड किया जाता है। इसमें लिखा है, मुस्लिम युवाओं को हमेशा यह बताया जाना चाहिए वे “दीन” के लिए काम कर रहे हैं। किसी भी तरह इस्लामिक शासन स्थापित करना ही है। डॉक्यूमेंट के चौथे पन्ने में पीएफआई के झंडे के तले मुस्लिमों की संख्या बढ़ाने के साथ भारत में मुस्लिम शासन के चार चरण बताए गए हैं। पहला- मुसलमानों को एकजुट करें। तलवार, रॉड और कई तरह के हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दें। दूसरा-नैरेटिव सशक्त करने के लिए पीएफआई के नेतृत्व में आगे बढ़ें। हिंसा से हिन्दुओं को टेरराइज करें। कैडर में जो अच्छा प्रदर्शन करेंगे उन्हें रिवाल्वर, बंदूक, बम, विस्फोटक आदि का प्रशिक्षण मिलेगा। इस्लामी शासन स्थापित करने के लक्ष्य को छुपाने के लिए तिरंगे, संविधान और अंबेडकर के नाम का उपयोग किया जाएगा। प्रेस, प्रशासन, और न्याय व्यवस्था में भी घुसपैठ की जाएगी। तीसरा- चुनाव जीतने के लिए एससी / एसटी / ओबीसी के साथ गठजोड़ करें। आरएसएस और एससी / एसटी / ओबीसी के मध्य विभाजन करें। चौथा- संघ को लगातार केवल उच्च वर्ग के हिंदुओं के पक्षधर के रूप में दिखाएं। सेक्युलर पार्टियों को भी छेड़ते चलें और मुस्लिमों के साथ एससी / एसटी / ओबीसी की अपनी पार्टी बनाने का लक्ष्य रखें। योजना के इस चरण में हथियार और गोला बारूद का स्टॉक बढ़ाने के लिए लिखा गया है।

    डॉक्यूमेंट में लिखा है- इस स्टेज में पीएफआई अपने आप को मुस्लिमों का निर्विवाद रूप से एकमात्र संगठन के रूप में पेश करेगा। साथ ही 50 प्रतिशत एससी / एसटी / ओबीसी का भी विश्वास प्राप्त करेगा और उनका प्रतिनिधि बनेगा। तब राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता हासिल करना सरल होगा। एक बार सत्ता में आ गए तो एक्जिक्यूटिव, ज्यूडीशियरी, पुलिस और आर्मी में अपने वफादारों को बैठाया जाएगा। पांचवें पन्ने में लिखा है- चार चरण पूर्ण होने पर विदेशी शक्तियों के सहारे इस्लाम आधारित नया संविधान घोषित किया जाएगा। जो इस संविधान के विरुद्ध होंगे उन्हें मार डाला जाएगा। इस लक्ष्य के लिए मुस्लिम युवाओं को बाबरी विध्वंस और मुस्लिम लिंचिंग के किस्से बता सुनाकर कट्टर बनाने का कार्य प्राथमिकता से करना है। डॉक्यूमेंट के छठे पन्ने में पीएफआई को हर घर तक पहुंचाने और हर मुस्लिम परिवार से पीएफआई में एक व्यक्ति लेने की बात है। यदि किसी परिवार से मुस्लिम मिलिट्री के लिए व्यक्ति नहीं मिलता है तो उस परिवार को पीएफआई के पत्र, पत्रक, पत्रिका, साहित्य को फैलाने का दायित्व देना है।

    इस विषैले डॉक्यूमेंट में “स्वस्थ लोग स्वस्थ राष्ट्र अभियान” की आड़ में पीएफआई के सतत कार्यरत रहने और जमीनी स्तर पर पीटी क्लासेस आयोजित करने का लक्ष्य लिया गया है। इस शारीरिक अभियान के लिए हर नगर ग्राम में जमीनें कब्जाने का भी लक्ष्य रखा गया है। इस डॉक्यूमेंट के सातवें पृष्ठ पर हिंदुत्व व संघ के नेताओं की समस्त जानकारियां जुटाने व उन्हें ट्रैक करते रहने पर जोर दिया गया है। डॉक्यूमेंट में लिखा है; स्टेट के साथ शोडाउन में कैडर के अतिरिक्त इस्लाम फ्रेंडली देशों से मदद की आवश्यकता पड़ेगी। पीएफआई ने तुर्की के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित किए हैं। कुछ अन्य इस्लामी देशों से भी विश्वसनीय मित्रता करने के प्रयास जारी है। तो यह है भीम मीम की राजनीति का मूल लक्ष्य जिससे देश को सावधान हो जाना चाहिए या फिर एक और विभाजन के लिए तैयार रहना चाहिए।

    (लेखक, विदेश मंत्रालय में राजभाषा सलाहकार हैं।)

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