भोपाल। देश की महारत्न कंपनियों में शुमार भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) कोरोना काल में आई आर्थिक मंदी के झटके से अब तक नहीं उबर पाई है। यह संस्थान बीते 60 साल से परंपरानुसार अपने कर्मचारियों को नए साल पर एक उपहार देता है। 1500 से 2000 रूपए की कीमत का प्रति कर्मचारी के हिसाब से उपहार दिया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण हुए 1585 करोड़ के घाटे के कारण उपहार खरीदी अब तक नहीं हुई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने से कर्मचारियों को हर साल की तरह इस बार जनवरी में नए साल का उपहार नहीं मिल पा रहा है। उपहार के लिए भेल प्रबंधन के आला अधिकारियों व तीनों प्रतिनिधि यूनियन राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस(इंटक), ऑल इंडिया भेल एम्प्लाई यूनियन( एबु) व भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के साथ बैठक हुई थी, जिसमें इस साल कर्मचारियों को बर्तनों का सेट देने पर सहमति बनी थी। लेकिन भेल में अब तक इन उपहार सेट की खरीदी नहीं की गई है। इससे भेल भोपाल के 5500 कर्मचारियों को नए साल का उपहार मिलने का इंतजार और लंबा होता जा रहा है। यूनियनों के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में 10 से 12 हजार स्र्पये तक वेतन कम कर दिया गया। भेल टाउनशिप में सड़कों, पार्कों, आवासों सहित अन्य मरम्मत कार्यों का हर साल मिलने वाला 15 से 16 करोड़ रुपये का बजट नहीं दिया गया। भेल के स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों की फीस में मिलने वाले सब्सिडी खत्म कर दी गई। घाटे के कारण भेल प्रबंधन कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती करता आ रहा है। दीवाली बोनस भी नहीं मिला। अब नए साल का उपहार मिलना भी मुश्किल लग रहा है। इस संबंध में भेल के वरिष्ठ प्रवक्ता राघवेंद्र शुक्ल का कहना है कि उपहार खरीदी की टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
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