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    Bharat Jodo Yatra: पायलट-गहलोत विवाद पर राहुल गांधी बोले- अब कोई कन्फ्यूजन नहीं

  • December 17, 2022

    – सचिन पायलट ने अपने गढ़ में दिखाई ‘ताकत’

    जयपुर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इन दिनों कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (‘Bharat Jodo Yatra’) पर हैं। अभी यात्रा राजस्थान (Rajasthan) से गुजर रही है, जोकि कांग्रेस शासित प्रदेश (Congress ruled state) है। राज्य में प्रवेश करने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच काफी विवाद पैदा हो गया था, जिसकी वजह से सवाल उठने लगे थे कि क्या राजस्थान में राहुल गांधी की यात्रा सफल हो सकेगी? इस बाबत यात्रा से ठीक पहले कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राजस्थान का दौरा करके किसी भी तरह की बयानबाजी नहीं करने की चेतावनी भी दी।

    अब राजस्थान में राहुल की यात्रा के कई दिन हो चुके हैं। अब तक राज्य में यात्रा काफी सफल रही है। शुक्रवार को जब यह यात्रा सचिन पायलट के गढ़ माने जाने वाले दौसा पहुंची तो वहां भारी भीड़ ने राहुल गांधी का स्वागत किया। जिले में भारी भीड़ के दम पर एक तरह से पायलट ने राहुल गांधी के सामने अपनी ताकत भी दिखा दी।


    पायलट पिता-पुत्र का क्षेत्र माना जाता है दौसा
    राजस्थान का दौसा जिला पायलट परिवार के लिए गढ़ माना जाता है। दरअसल, दौसा लोकसभा से न सिर्फ सचिन पायलट, बल्कि उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट व सचिन पायलट की मां रमा पायलट भी सांसद रह चुकी हैं। इसकी वजह से क्षेत्र में पायलट परिवार का दबदबा है। राजेश पायलट साल 1984 में दौसा से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लड़कर लोकसभा सांसद बने थे। हालांकि, 1989 में बीजेपी के नत्थू सिंह ने बाजी मार ली, लेकिन फिर उसके बाद 1991 से लेकर 1999 तक राजेश पायलट लगातार दौसा सीट से जीतते रहे। साल 1991, 1996, 1998 और 1999 में राजेश पायलट ने दौसा में जीत हासिल की। इसके बाद उनके निधन राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट ने उपचुनाव में जीत हासिल की।

    2004 के लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट को दौसा लोकसभा सीट से जीत मिली। यह क्षेत्र सचिन पायलट के लिए काफी खास रहा है। इसी वजह से जब राहुल गांधी शुक्रवार को दौसा से गुजरे, तो वहां सचिन पायलट के पक्ष में जमकर नारेबाजी भी देखने को मिली। सोशल मीडिया पर सामने आए कुछ वीडियोज और तस्वीरों में लोग राहुल गांधी और सचिन पायलट की एक झलक पाने के लिए बेताब नजर आ रहे थे। सड़क किनारे और आसपास के घरों में बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी थी।

    कांग्रेस आलाकमान के लिए राजस्थान संकट हल करने की चुनौती
    साल 2020 के मध्य में जब सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ राजस्थान से बाहर चले गए, तो हंगामा मच गया। अशोक गहलोत ने पायलट पर सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उसके बाद से अब तक कई बार पायलट पर गहलोत हमला बोल चुके हैं। हालांकि, माना जाता है कि सचिन पायलट को राजस्थान की कमान देने का मूड कांग्रेस आलाकमान ने बना लिया है। इसी वजह से जब 25 सितंबर को विधायकों की बैठक नहीं हो सकी, तो गहलोत के करीबी तीनों विधायकों को नोटिस जारी किया गया। भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत के बाद से ही कई बार सचिन पायलट राहुल गांधी के साथ पदयात्रा करते हुए दिखाई दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से पूरा होने के बाद इस संकट को हल करने का मन बना लिया है। अगले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी प्रदेश को नया चेहरा देना चाहती है, ताकि उसे एंटी इनकमबेंसी को कम करने में मदद मिल सके।

    उधर, जब शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए राहुल गांधी से गहलोत और पायलट विवाद पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कर दिया कि कोई भी कन्फ्यूजन नहीं है। राहुल के इस बयान से भी कयास लगाए जाने लगे हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान संकट पर फैसला ले लिया है, जिसे जल्द ही लागू किया जा सकता है। हालांकि, अब समय ही बताएगा कि क्या राजस्थान में कांग्रेस कोई नेतृत्व परिवर्तन करती है और सचिन पायलट को कमान सौंपी जाती है या फिर अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री के पद बने रहते हैं।

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